पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, जब तक श्री राधा जी की आराधना न हो, जब तक श्री राधा जी के चरणों से अंकित वृंदावन में निवास न हो और जब तक उनके भक्तों का संग प्राप्त नहीं किया तब तक- कथं श्याम सिन्धुरसस्यावगाहः। श्यामसुंदर रूपी रस में किसी का अवगाहन कैसे हो सकता है? अगर श्याम सुंदर रूपी रस में डूबना है तो श्री राधा जी की आराधना के बिना संभव नहीं है। श्री राधा जी की सेवा किये बिना, ब्रजभूमि के बिना, भगवत भक्तों संतों की सेवा किये बिना, महापुरुषों की रज में स्नान किये बिना, ज्ञान और भक्ति किसी को प्राप्त नहीं हो सकती।
थोड़ी-सी बुद्धि के साथ किताबी ज्ञान किसी को भी प्राप्त हो सकता है, पढ़-पढ़ाकर तोते के समान रट लो और भक्ति और ज्ञान की बात सुना दो। सुना देगा एक अलग बात है लेकिन उस वास्तविक तत्व में अवगाहन करना, डूबना यह सबके बस का नहीं। ये तीन काम करने से उस रस की प्राप्ति होती है। राधा रानी की सेवा, भगवती श्रीराधाजी की कृपा कटाक्ष की कामना और श्री धाम वृंदावन का निवास। पूरे समय न रह सको तो कभी-कभी घूम आया करो। होली में,झूलों में,कभी-कभी आओ, ब्रजरज में बैठकर भगवान् का नाम जपो।
अक्रूर जी जब वृंदावन पहुंचे, रथ पर बैठे थे, जैसे ही ब्रजरज में अंकित भगवान् के चरण चिन्ह दिखे, वह रथ से कूदकर ब्रजरज में लोटने लगे। यह रज भाग्यशालिनी है, जिसमें श्री राधा कृष्ण के चरणों का स्पर्श हुआ है। यह ब्रजरज भाग्यवती है जहां ब्रजरानी, भगवती राधा रानी के चरणों का स्पर्श हुआ है। क्योंकि श्री राधा-कृष्ण वृंदावन में नंगे पांव ही घूमते हैं, उन्होंने पावड़ी कभी नहीं पहना। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी,बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)