लाइफस्टाइल। चाणक्य या कौटिल्य को किसी परिचय की आवश्यकता नहीं है। चाहे वह राजनीतिक रणनीति हो, शासन, या प्रबंधन कौशल, चाणक्य सभी में उत्कृष्ट थे। बता दे कि चंद्रगुप्त मौर्य ने चाणक्य की सलाह से नंद वंश का सफाया कर दिया। चंद्रगुप्त ने तब मौर्य राजवंश की स्थापना की, जो अशोक जैसे सम्राटों के साथ प्राचीन भारत के सबसे प्रमुख राजवंशों में से एक बन गया।
चाणक्य के विचार और सिद्धांत जीवन में सफलता की बहुमूल्य अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं। उनके सिद्धांत इतने प्रभावशाली हैं कि वे आज भी प्रबंधन सिद्धांतों के रूप में पूजनीय हैं। चाणक्य नीति में ऐसे पाठ भी शामिल हैं जो जीवन में वित्तीय सफलता प्राप्त करने में बहुत मदद कर सकते हैं। आइए जानते हैं क्या कहता है नीति शास्त्र इस बारे में।
- आचार्य चाणक्य के अनुसार जो व्यक्ति धन का प्रयोग दान और निवेश के तौर पर करता है। वह संकट के समय में भी खुशी खुशी जीवन बिताता है। आचार्य चाणक्य के अनुसार धन का अनावश्यक खर्च करने वालों को आपदाओं में दुख और दरिद्रता का सामना करना पड़ता है।
- धन की बचत करना चाहते हैं तो सबसे पहले फिजूलखर्ची पर रोक लगाएं। जो बेवजह खर्च करने पर नियंत्रण करते हैं वो कंजूस जरूर कहलाते हैं, लेकिन बुरे वक्त में उनकी कंजूसी ही काम आती है और बुरी परिस्थितियों में भी अपना जीवन सामन्य तरीके से जी लेते हैं।
- कमाई का कुछ हिस्सा दान पुण्य के कार्य में लगाने से धन में दोगुनी वृद्धि होती है। दान से बड़ा कोई धन नहीं, किसी जरूरतमंद व्यक्ति की सामर्थ्य अनुसार मदद करने से मां लक्ष्मी की कृपा सदा बनी रहती है और विपत्ति भी उसका नकुसान नहीं कर पाती है।
- आचार्य चाणक्य के अनुसार धन को बहुत सर्तकता के साथ खर्च करना चाहिए। इसके लिए आवश्यक है अपनी जरूरतें सीमित रखें। जितनी आवश्यकता है उतना उपभोग करें।