लाइफस्टाइल। आमतौर पर पसीना आना अच्छे स्वास्थ्य होने निशानी भी माना जाता है। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक पसीना आना सामान्य प्रक्रिया है। मुश्किल तब होती है जब इस सामान्य प्रक्रिया में असंतुलन पैदा होने लगता है। कुछ लोगों में इस असंतुलन की वजह से पसीने के आने पर बिल्कुल रोक लग जाती है। तो कुछ के लिए यह बिन मौसम बरसात का मामला भी बन जाता है। सामान्य स्तर पर पसीना आना अगर अच्छे स्वास्थ्य की निशानी होता है तो जरूरत से ज्यादा पसीना आना किसी समस्या की ओर भी इशारा हो सकता है।
आपने ऐसे कई लोग अपने आस-पास देखे होंगे जिन्हें थोड़ी भी गर्मी में चेहरे, पीठ और बगलों में भयंकर पसीना आने लगता है। यदि यह पसीना सोना बाथ लेने, गर्मी बढ़ने या अधिक एक्सरसाइज करने पर आए तो भी एक सामान्य बात है। लेकिन कई बार इन स्थितियों के अलावा भी जरूरत से ज्यादा पसीना आने की समस्या हो सकती है। तो चलिए जानते है कि ज्यादा पसीना आना किस बीमारी के लक्षण है, इसकी क्या वजह है?
एयर कंडीशनर में भी आता है पसीना:
जरूरत से ज्यादा पसीना आने की स्थिति चिकित्सा विज्ञान के शब्दों में हाइपरहाइड्रोसिस कहलाती है। सामान्य स्थितियों में बाहरी तापमान के हिसाब से शरीर के तापमान का संतुलन बैठाने के लिए स्वेद ग्रंथियों यानी स्वेट ग्लैंड्स के जरिए पसीना बाहर आता है। जब तापमान संतुलित हो जाता है तो पसीना आना भी बंद हो जाता है। लेकिन हाइपरहाइड्रोसिस से ग्रसित लोगों के साथ ऐसा नहीं होता। उनकी स्वेट ग्लैंड्स बिना वजह भी पसीना निकालती रहती हैं। यहां तक कि एयर कंडीशनर में बैठे हुए होने पर भी। वहीं कुछ मामलों में स्विमिंग पूल में रहने तक में पसीना आ सकता है।
हायपरहाइड्रोसिस के लक्षण:
हायपरहाइड्रोसिस का एक प्रकार जो मुख्यतः हाथों, पैरों, बगलों या चेहरे पर असर डालता है वह प्रायमरी हायपरहाइड्रोसिस कहलाता है। जबकि पूरे शरीर या शरीर के बड़े भाग में आने वाले पसीने की स्थिति सेकेंडरी हायपरहाइड्रोसिस कहलाती है। यानी अलग प्रकार के हिसाब से अलग लक्षण सामने आ सकते हैं।
ज्यादा पसीना आने की वजह:
आकंड़ों की मानें तो दुनियाभर में लाखों लोग हायपरहाइड्रोसिस के किसी प्रकार से पीड़ित हो सकते हैं। अधिकतर मामलों में अधिक पसीना आना किसी खतरे का संकेत नहीं होता, बल्कि ये ऐसी समस्या होती है जिसका उपचार किया जा सकता है। प्राइमरी हायपरहाइड्रोसिस की स्थिति वंशानुगत भी हो सकती है। मतलब हो सकता है आपके परिवार में किसी को यह समस्या रही हो। वहीं सेकेंडरी हाइपरहाइड्रोसिस की स्थिति के पीछे गर्भावस्था से लेकर डायबिटीज, थायराइड असंतुलन, मीनोपॉज, एंग्जायटी, मोटापा, पार्किंसंस डिजीज, रहेयूमेटॉइड आर्थराइटिस, लिम्फोमा, गाउट, कोई संक्रमण, हृदय रोग, श्वास रोग या शराब का अधिक सेवन जैसी कोई स्थिति हो सकती है। कुछ विशेष प्रकार की दवाइयां जैसे अल्जाइमर रोग के लिए दी जाने वाली दवा, एंटीडिप्रेसेंट, डायबिटीज की दवाइयां, ग्लूकोमा की दवाइयां आदि भी हायपरहाइड्रोसिस की वजह हो सकती हैं।
ज्यादा पसीना आने से रोकने का इलाज:
अधिक पसीना आने की वजह से जो शारीरिक समस्याएं होती हैं, उसकी बात अलग हैं। लेकिन इसकी वजह से मानसिक स्तर पर भी पीड़ित को कई उलझनों का सामना करना पड़ सकता है। वह सामाजिक मेलजोल से बचने लगता है, खुद के प्रति हीन भावना पाल सकता है, अपने शरीर को लेकर अतिरिक्त संवेदनशील हो सकता है। ऐसे में आवश्यक है कि डॉक्टर से सलाह लेकर तुरन्त समस्या पर नियंत्रण की कोशिश की जाए। डॉक्टर्स इन उपायों की सलाह दे सकते हैं-
- पसीना पैदा करने वाली ग्रंथियों को सन्देश देने वाली नर्व्स पर प्रभाव डालने वाली कुछ दवाएं या पसीना रोकने और दुर्गंध मिटाने वाले ऐसे साधन जिनमें एल्युमिनियम हो, उनका प्रयोग डॉक्टर की सलाह से।
- हेल्थ एक्सपर्ट द्वारा प्रिस्क्राइब किया गया लो इंटेंसिटी इलेक्ट्रिकल करंट ट्रीटमेंट।
- बगल के पसीने के लिए खासतौर पर बोटोक्स इंजेक्शन।
- स्ट्रेस और एंग्जायटी के प्रबंधन के लिए दवाएं।
- कुछ मामलों में अंतिम उपचार के तौर पर सर्जरी का प्रयोग।
इन बातों का रखें ध्यान:
- अपने मन से कोई भी केमिकल युक्त साधन, पावडर, लोशन, डियो आदि का उपयोग न करें।
- डॉक्टर जो भी दवा या साधन प्रिस्क्राइब करता है, उसका उपयोग सीमित वक्त के लिए ही करें, जब तक डॉक्टर ने कहा है। अपने मन से इन चीजों की मात्रा का अवधि घटाएं-बढ़ाएं नहीं।
- किसी की देखादेखी या सुनकर अपने ऊपर किसी भी चीज का प्रयोग करने से बचें।
- भरपूर मात्रा में पानी और लिक्विड डाइट को अपनाएं।
- कॉटन के पसीना सोखने वाले कपड़ों को प्राथमिकता दें।
- खुद को यह विश्वास दिलाएं कि आपके मन की खूबसूरती और आपके अन्य गुण इस समस्या से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हैं। उनपर ध्यान दें। जितनी सकारात्मक सोच होगी, आपको समस्या से लड़ने की उतनी ही ताकत मिलेगी और उतनी ही सहजता से आप समस्या पर नियन्त्रण कर पाएंगे।