सत्संग से ही होगी परमात्मा की प्राप्ति: दिव्य् मोरारी बापू

पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि सबसे सही रास्ता कौन-सा है? धर्मशास्त्र कहते हैं, जो संसार की ओर से निवृत्ति करके, परमात्मा की प्राप्ति करा देता है, वही सच्चा सुमार्ग है। जो वेद कहते हैं, वही सुमार्ग है, इसमें कोई संशय नहीं है। नर्क क्या है ?अगर किसी को बात-बात पर गुस्सा आता है, यही नर्क है।

स्वर्ग क्या है? जिसे क्रोध कभी नहीं आता, वह व्यक्ति सदा स्वर्ग में रहता है। सबसे बड़ा- भाई, बन्धु, मित्र, कौन है? धर्म शास्त्र कहते हैं परमात्मा ही सबसे बड़े भाई, बन्धु, गुरु और सखा हैं।” बन्धुर्गुरुरहं सखे” और दुनियाँ में कोई किसी का अपना नहीं है। संसार में अपना कहलाने वाले कब हमें छोड़कर चले जायें कोई पता नहीं है अथवा रहते हुए भी दूरी बना लें,

इसका भी पता नहीं है, लेकिन परमात्मा जीव को कभी नहीं छोड़ते सदैव के साथ रहते हैं।  दरिद्र कौन है? दरिद्र अर्थात् जिसके पास पैसा न हो, लेकिन धर्मशास्त्र कहते हैं, जो असंतुष्ट है, लोभी है, वह अरबपति होकर भी दरिद्र है। जिसके अंदर संतोष आ गया, वह गरीब होकर भी धनवान है। कृपण कौन है? जो धन नहीं खर्च करता, वह कृपण नहीं है।

जिसने अपनी इंद्रियों पर विजय प्राप्त नहीं की, वह कृपण है। यहां कृपण का अर्थ अत्यंत दीन से है। सार यही है कि अपने जीवन को ईश्वर से जोड़ देना चाहिए। अपने जीवन में जो दोष नजर आते हों, उन्हें निकालने का प्रयत्न करना चाहिए। संसार के विषयों को धर्म शास्त्रों में एक प्रकार का धीमा जहर कहा गया है, इसीलिए इनसे बचने का प्रयत्न करना चाहिए।

धर्मशास्त्र कहते हैं कि- यदि सत्संग करते रहोगे, तो आंखें खुल जायेगी। कहते हैं कि बिल्ली यदि अपने बच्चे को सात घर घुमा दे तो उसकी आंखें खुल जाती हैं। इसी तरह यदि आप सात दिन का-नवदिन का सत्संग करते रहोगे, तो आपकी भी आंखें खुल जायेंगी। सत्संग के बिना आंखें नहीं खुलेगी। बिनु सत्संग विवेक न होई।

राम कृपा बिनु सुलभ न सोई।। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।

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