व्यक्ति अपने कर्मो से स्वर्ग और नर्क का करता है निर्माण: दिव्य मोरारी बापू

पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, स्वर्ग क्या है ? धर्मशास्त्र कहते हैं कि- ‘स्वर्गः सत्वगुणोदयः।’ अर्थात् जब व्यक्ति में सत्व का उदय हो तो समझ लेना चाहिये कि वह स्वर्ग में ही वास कर रहा है। अर्थात् जब काम, क्रोध, लोभ का अभाव हो जाये और दैवीय गुण उत्पन्न होने लगे तो धरती पर ही स्वर्ग आ जाता है। व्यावहारिक पक्ष में स्वर्ग वह स्थान है जहां पुण्य आत्मायें सुख भोगती है। धरती पर जहां विषय वासना नहीं वहाँ स्वर्ग ही है। नर्क क्या है ? धर्म शास्त्र कहते हैं कि-‘नरकस्तम उन्नाह ।’ बात-बात में क्रोध आना अथवा तमोगुण की बढ़ोत्तरी ही नर्क है। जिस व्यक्ति, समाज अथवा घर में आलस्य, निद्रा, प्रमाद का बोलबाला हो वह नर्क है। व्यावहारिक पक्ष में नर्क पापी व्यक्तियों को दंड देने का ऊपर का लोक है। पर आध्यात्मिक पक्ष की चर्चा धर्मशास्त्रों में की गई है। धर्मशास्त्र हमें दिशा दिखा रहे हैं कि- जीवन को नर्क अथवा स्वर्ग बनाना हमारे हाथ में है। सत्त्वगुण स्वर्ग और तमोगुण नर्क है। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)

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