पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, यही जीवन के दो मार्ग हैं, हर व्यक्ति के जीवन में दो मार्ग हैं। श्रेय और प्रेय। एक सिद्धांत यह कहता है कि तत्काल सुख पाने के लिये प्रयास करो। उसके लिये पाप करना पड़े तो भी कर लो, इस जीवन को सुखी बनाओ। इसको कहते हैं प्रेय का मार्ग। वेद की भाषा में इसको प्रेय अर्थात् जो प्रिय लगे, प्यारा लगे, तत्काल सुख दे, वो मार्ग है प्रेय। और जिससे हमारे करोड़ों जन्म सुधर जायें, आने वाला अनंत समय हमारे लिये सुखदायी हो, वो मार्ग है श्रेय।श्रेय अर्थात् कल्याणकारी। श्रेयश्च प्रेयश्च मनुष्यमेतत् । तौ सम्परीत्य विविनक्तिधीरः।। हमारे आपके सामने दो रास्ते हैं, एक श्रेय का और दूसरा प्रेय का। संसार के भोगों को पाने का प्रयास करना, ये प्रेय मार्ग है और भजन करके ईश्वर को प्राप्त कर लेना, ये श्रेय मार्ग है। अम्बा कैकयी धन में सुख देख रही हैं और भरतलाल जी ईश्वर में सुख देखते हैं। अंत में सुखी कौन हुआ? जो धन के पीछे दौड़ा या जो राम के पीछे दौड़ा? कहना पड़ेगा कि जो राम के पीछे चले वो अंत में सुखी हुए। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)