पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, अपवर्ग क्या है? मुक्ति क्या है? इसका भी वास्तविक निरूपण श्रीमद् विष्णु महापुराण में है। मुक्ति के विषय में भी लोगों के भिन्न-भिन्न मत है। कोई कहते हैं आत्मा का नाश हो जाना ही मुक्ति है, जो बौद्ध धर्म का दर्शन है शून्यवाद।तो कुछ लोग कहते हैं बिंदु का सिंधु में मिल जाना मुक्ति है। यह भी विनाश ही है।विन्दु का अस्तित्व समाप्त है समुद्र में, विन्दु का समुद्र में लय होने के बाद अब दुनियां की कोई ताकत उस बिन्दु को नहीं ढूंढ सकती। बिन्दु का सिन्धु में लय आत्मा का परमात्मा में लय। ऐसी मुक्ति की कौन कामना करेगा? जिसमें अपने अस्तित्व को खत्म कर देना है।
श्री वैष्णवाचार्यों ने कहा हमारे यहां मुक्ति लयात्मक नहीं है। हमारे यहां मुक्ति भगवान के चरणों का कैंकर्य है। जीवात्मा माया से मुक्त होकर, भगवान के धाम साकेत,गोलोक,वैकुण्ठ में जाकर, सदा से सदा के लिए भगवान का किंकर बनकर, भगवान् का कैकर्य करता रहता है। और भगवान के कैंकर्य में परम सुख की प्राप्ति होती है, वही मुक्ति है।
कैंकर्य लक्षण विलक्षण मोक्ष भाजो।
रामानुजो विजयते यतिराज राजा।।
भगवान के कैंकर्य में हमें रूचि हो जाए, इसीलिए वैष्णवाचार्यों ने कैंकर्य को प्रधानता दिया है। साधु लोग इसीलिए बनते हैं कि हमें भगवान की अष्टयाम सेवा मिलेगी। निरंतर भगवान के चरणों में रहने का अवसर मिलेगा और उनकी सेवा के अलावा हमारे पास और कोई दूसरा काम ही नहीं होगा। भगवान के कैंकर्य के बिना भक्तों को नहीं रहना चाहिए, तो भगवान का कैंकर्य, सेवा ही मोक्ष है। यहां पर जो हम भगवान का कैंकर्य करते हैं पूजा, सेवा, आरती,भोग-राग, फूल, तुलसी, समर्पण में कैंकर्य का अभ्यास करते हैं। यहां पर हम ज्यादा कैंकर्य नहीं कर पायेंगे। समय कम है,सत्तर,अस्सी वर्ष में जीवन पूरा हो जायेगा और मृत्यु के दस साल पहले से शरीर अशक्त हो जायेगा, शरीर काम करना बंद कर देगा। यहां जो कैंकर्य करते हैं वो केवल अभ्यास मात्र है। आचार्य कहते हैं यहां अभ्यास करो और जब अभ्यास हो जायेगा तो श्री ठाकुर जी नित्य धाम में कैंकर्य अर्थात् सेवा प्रदान करेंगे। फिर जो कैंकर्य मिलेगा, वो सदा-सदा के लिये मिलेगा।
सकृत सेवया नित्य सेवा फलत्वं प्रयच्छप-प्रयच्छप प्रभु वैंकटेश। जब भगवान का दर्शन करने जाते हैं तो भगवान से प्रार्थना करते हैं। हम आज जो आपकी सेवा कर रहे हैं, इसका फल हम चाहते हैं कि आपकी नित्यसेवा प्राप्त हो जाये। भगवान की सेवा प्राप्त हो यही हमारे वैष्णव सिद्धांत में मुक्ति है। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।