पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, खुशियों की बहार देवताओं में आ गई। देवताओं ने आकर मां की लंबी-चौड़ी स्थिति की- देवि प्रपन्नार्तिहरे प्रसीद मातर्जगतोऽखिलस्य। प्रसीद विश्वेश्वरि पाहि विश्वं त्वमीश्वरी देवि चराचरस्य।। देवताओं ने कहा- ‘ मां ! दैत्यों को आप ने मारा, उसे मारकर आपने हम पर अपार कृपा की है। यह सारा विश्व आपका है, आपके द्वारा बना और आपके द्वारा ही सुरक्षित है। सबको धारण करने के लिए आप ही पृथ्वी बनी हैं। जल आपका ही स्वरूप है। आप ही अग्नि, वायु और आकाश रूप हैं।
संसार में जो कुछ दिखाई दे रहा है, वह सब आपका ही विस्तार है। आपका महिषासुर से युद्ध हो रहा था और जैसे कोई बच्चे के साथ खेल करता है, इस प्रकार आप उसके साथ खेल कर रही थी और खेल-खेल में आपने उसे समाप्त कर दिया। मां ! आपको शस्त्र चलाना पड़ा, वह आपकी दृष्टि-मात्र से ही भस्म धर्म क्यों नहीं हो गया ? हम समझ गए कि आप उसके साथ युद्ध के माध्यम से खेल करना चाहती थीं। लेकिन माँ आश्चर्य की बात यह है कि महिषासुर के मरते ही उसकी आत्मा आप में लीन हो गई है। हे करुणामयी मां ! उसने तो बड़े पाप किए थे, उसे घोर नरक में जाना चाहिए था पर आपने उसे अपने में लीन कर लिया। लेकिन माँ! अब समझ में आ गया, जिस पर आपकी दृष्टि पड़ जाए, जिसे आपके शस्त्र छू लें, जिसे आप स्पर्श कर लें, वह व्यक्ति कभी भी नरक नहीं जा सकता, वह मुक्ति के योग्य हो जाता है।
हे भगवती पराम्बा,हे ! मां हम आपको बार-बार प्रणाम करते हैं। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।