महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के समापन समारोह में सीएम योगी, बोले- शिक्षित होने के साथ ज्ञानवान होना महत्वपूर्ण

CM Yogi: मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने रविवार को महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के 91वें संस्थापक सप्ताह समारोह के समापन पर आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता की. इस मौके पर मुख्‍य अतिथि राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण और मुख्य वक्ता उत्तर प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष सतीश महाना का स्वागत करते हुए सीएम (CM Yogi) ने कहा कि सफलता हासिल करने के लिए परिश्रम और पुरुषार्थ का कोई विकल्प नहीं होता है. उद्देश्य के अनुरूप प्रतिबद्ध होकर समय सीमा में कार्य करते हुए आगे बढ़ने पर लक्ष्य प्राप्त करने से कोई नहीं रोक सकता.    

CM Yogi: शिक्षा प्राप्‍त करना केवल पुस्‍तकीय ज्ञान नहीं

कार्यक्रम के दौरान सीएम योगी ने कहा है कि शिक्षा प्राप्त करना केवल पुस्तकीय ज्ञान नहीं है. पुस्तकीय ज्ञान से सर्टिफिकेट, डिप्लोमा या डिग्री प्राप्त की जा सकती है, लेकिन जीवन में विजेता बनने के लिए शिक्षित होने के साथ ज्ञानवान होना महत्वपूर्ण है. ज्ञान, शिक्षण संस्थानों में संवाद के वातावरण और अनुभव से अर्जित होता है. 

CM Yogi ने विद्यार्थियों को किया प्रेरित

सीएम योगी ने महान कवि रामधारी सिंह दिनकर की रचना, वसुधा का नेता कौन हुआ, भूखण्ड-विजेता कौन हुआ, अतुलित यश क्रेता कौन हुआ, नव-धर्म प्रणेता कौन हुआ, जिसने न कभी आराम किया, विघ्नों में रहकर नाम किया का उदाहरण देकर विद्यार्थियों को प्रेरित किया. उन्होंने कहा कि विपरीत परिस्थितियों में भी धैर्य रखते हुए परिश्रम करेंगे तो सफलता की नई ऊंचाइयों को प्राप्त कर लें. 

मुख्यमंत्री ने कहा कि 1932 में जब युगपुरुष ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ जी महाराज ने महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की स्थापना की, तब उनका संकल्प था कि देश को गुलामी से मुक्ति मिलने के बाद कैसे नागरिक मिलने चाहिए. उसी संकल्प पर चलते हुए आज यह परिषद चार दर्जन संस्थाओं के माध्यम से निरंतर शिक्षा और सेवा के प्रकल्पों को आगे बढ़ा रही है.

CM Yogi: जीवन में सदैव बना रहे कृतज्ञता का भाव

उन्‍होंने कहा कि जीवन में कृतज्ञता का भाव सदैव बने रहना चाहिए. कृतज्ञता का भाव सकरात्मकता से आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है. इसको और स्पष्ट करने के लिए उन्होंने ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ के अपने गुरु के प्रति प्रकट किए गए भाव के क्रियात्मक पक्ष का स्मरण किया.

कहा कि महंत दिग्विजयनाथ जी के गुरु को अंग्रेज सरकार ने आजादी के आंदोलन में भाग लेने के कारण शिक्षक की नौकरी से निकाल दिया. तब गुरु के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने लिए महंत दिग्विजयनाथ जी ने एक स्कूल खोला और गुरु को प्रधानाचार्य बना दिया. यही स्कूल महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की आधारशिला बना. 
 

ये भी पढ़ें :- मानव संपदा पोर्टल की सीधी निगरानी करेगा सीएम कार्यालय, धीमी प्रगति वाले विभागों पर होगी सख्‍त कार्रवाई

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *