Happan Sangwala: ‘स्वांग’ लोक नाट्य परंपरा का एक महत्वपूर्ण एवं मनोरंजक प्रकार है. भारत के उत्तर प्रदेश, राजस्थान और हरियाणा राज्य में स्वांग लोकनाट्य की परंपरा प्रसिद्ध है. लोकनाट्यों में प्रहसनात्मक, संगीत, नृत्य एवं अभिनय प्रधान नाटकों को स्वांग का नाम दिया गया है. स्वांग का अर्थ है नकल करना अथवा नाटक करना. अब आप ये सोच रहे होंगे की हम यहां स्वांग की बात क्यों कर रहे हैं, तो हम आपको बता दें कि पिछले दिनों दिल्ली, गाज़ियाबाद के गांव इनायतपुर व रघुनाथपुर में फ़िल्म ‘हप्पन सांगवाला’ की शूटिंग की गई.
लोकनाट्य विधा स्वांग के आस पास घूमती फिल्म
फ़िल्म के निर्माता ग़ाज़ियाबाद के रवि यादव व रूस की श्वेता सिंह ‘उमा’ है. वहीं, निर्देशक सुनील प्रेम व्यास है और फ़िल्म में सुप्रसिद्ध अभिनेता राजेन्द्र गुप्ता व निर्भय ठाकुर ने मुख्य भूमिका निभाई है. सबसे पहले आपको बता दें कि इस फिल्म की कहानी लोकनाट्य विधा स्वांग के आस पास घूमती है, इसलिए हम स्वांग की बात कर रहे थे. लोकनाट्य विधा स्वांग के आस पास घूमती इस फिल्म में दो किरदार हैं, इन्ही के ज़रिए कहानी आगे बढ़ती है.
इस फ़िल्म के माध्यम से निर्माता रवि यादव स्वांग या लोक कलाओं से आज की स्थिति को दर्शाना चाहते हैं जो विलुप्त हो चुकी हैं. आपको बता दें कि एक समय में स्वांग, ढोला, नौटंकी रागिनी जैसी अनेक लोककलाएं थीं, जो मनोरंजन का मुख्य साधन हुआ करती थीं. लेकिन आज टीवी, फ़िल्म व सोशल मीडिया के दौर में ये कलाएं और इनसे जुड़े कलाकार हाशिये पर चले गए हैं.
फ़िल्म ‘हप्पन सांगवाला’ का ट्रेलर रिलीज़
‘रवि पिक्चर्स’ व द क्रिएटिव पैराडाइज़ के बैनर तले बनने वाली फ़िल्म ‘हप्पन सांगवाला’ का ट्रेलर रिलीज़ कर दिया गया है. ट्रेलर की शुरुआत में अभिनेता राजेन्द्र गुप्ता की आवाज़ में एक डायलॉग सुनाई देता है, जिसमें वह कहते हैं साहिबान आपके गांव, आपकी नगरी में आज हप्पन सांगी. इसके बाद थोड़ा सा म्यूजिक सुनाई देता है और फिर एंट्री होती है अभिनेता राजेन्द्र गुप्ता और निर्भय ठाकुर की. इसके बाद निर्भय ठाकुर राजेन्द्र गुप्ता उर्फ़ हप्पन सांगवाला से पूछते हैं ये क्या होता है, स्वांग तो बहुत मजेदार होता होगा और आपने दादा गई स्वांग क्यों छोड़ा.
इसके बाद अभिनेता राजेन्द्र गुप्ता की आवाज़ में एक डायलॉग खूब चर्चा में बना हुआ है, जिसमें वह कहते हैं तालिया पेट नहीं भरतीं और जिनके पेट भर जाते हैं, वो तालियों का मतलब नहीं समझते हैं. पत्ते पिले पड़ रहे हैं, पिले पत्ते झड़ रहे हैं. ‘रवि पिक्चर्स’ व द क्रिएटिव पैराडाइज़ के बैनर तले बनने वाली ये फ़िल्म एक मार्मिक विषय व सामाजिक सन्देश के साथ, बहुत जल्द दर्शकों के सामने पेश होगी.
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