Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि दुर्जनों की दुर्जनता उतनी खतरनाक नहीं है, सज्जनों की निष्क्रियता समाज के लिए बहुत खतरनाक है. जब कुरुक्षेत्र के मैदान में दोनों सेनाएं एक दूसरे के सामने आकर खड़ी हो जाती हैं तो दोनों तरफ से शंख भी फूंके जाते हैं. कौरव पक्ष में सबसे पहले शंख बजाया भीष्म ने, स्वाभाविक है, कौरव सेना के सेनापति हैं. यह शंख युद्ध का आह्वान है. उधर पांडव पक्ष में हम सब क्या देखते हैं, सबसे पहले शंख बजाया न अर्जुन ने, न युधिष्ठिर ने, न भीम ने, न सेनापति धृष्टद्युम्न ने. बड़े आश्चर्य की बात है, पाण्डव पक्ष में जिनको लड़ना नहीं है, जो सारथी के रूप में आये हैं अर्जुन के, उन भगवान श्रीकृष्ण ने शंखनाद किया है. अर्जुन ने सोचा अरे ये तो सारथी हैं, मैं रथी हूं, लड़ना तो मुझे है और शंख ये बजा रहे हैं. उस समय का दृश्य देखने से लगता है कि श्रीकृष्ण ज्यादा उत्सुक है अर्जुन से भी.
शंखनाद होने के बाद श्रीकृष्ण रथ को दोनों सेनाओं के बीच में ले जाते हैं. अर्जुन ने देखा है- कौरव सेना की तरफ, तो क्या देखा है सामने- आचार्य, दादा, मामा, भाई, पुत्र,पौत्र, बान्धव आदि खड़े हैं. देखते ही सेना पसीना होने लगा, दाह होने लगा त्वाचा में, गाण्डीव हाथ से गिरने लगा. हाथ जोड़कर कह दिया गोविन्द से कि मैं इनसे युद्ध नहीं करूंगा.
सुनते ही तिलमिला उठे श्रीकृष्ण और जो कठोर शब्द सुनाएं हैं अर्जुन को, कि अर्जुन! नपुंसक न बन. तुझे यह शोभा नहीं देता, यह तेरे हृदय की दुर्बलता है, उठ, युद्ध के लिये तैयार हो जा.
अन्ध धृतराष्ट्र कहते हैं संजय से कि यह सब श्रीकृष्ण का ही काम है. हां, यदि कोई आरोप लगाता है श्रीकृष्ण पर कि श्रीकृष्ण ने ही युद्ध करवाया तो कहना चाहिए कि हां कराया. क्योंकि भगवान कृष्ण अन्याय के विरुद्ध युद्ध चाहते हैं.
वहां कौरव तो आक्रामक बने हुये हैं लेकिन यह सज्जनता कायर क्यों बनी हुई है? सत्य आक्रामक क्यों न हो, जहां न्याय है, जहां धर्म है, जहां सत्य है वो क्यों डरे? वो क्यों भागे? गुणवान हो व्यक्ति यही पर्याप्त नहीं, वीर्यवान भी होना चाहिये, नहीं तो सज्जनता कायर होगी और कायर सज्जनता हमेशा भागती रहती है और पलायनबाद किसी भी समस्या का समाधान नहीं है. सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).