अयोध्या में होगी राम दरबार की प्राण प्रतिष्ठा, स्वर्ण से सजाया जाएगा शिखर, देश-विदेश से श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद

Up News: श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के निर्माण कार्य में अब एक और ऐतिहासिक चरण की तैयारी तेज कर दी गई है. 5 जून को राम मंदिर के पहले तल पर राम दरबार की प्राण प्रतिष्ठा का आयोजन होगा, जिसके लिए ट्रस्ट और मंदिर निर्माण से जुड़े संगठनों ने व्यापक रुप से तैयारियां शुरू कर दी हैं.

जानकारी के अनुसार, इस बार की प्राण प्रतिष्ठा में सिर्फ राम दरबार के साथ परकोटे में बने 6 मंदिरों में से 5 के शिखरों को भी स्वर्ण मंडित किया जाएगा. इन मंदिरों में भगवान शिव, हनुमान जी, सूर्य देव, गणेश जी, मां दुर्गा और मां अन्नपूर्णा के मंदिर भी शामिल हैं, जो राम मंदिर परिसर के चारों ओर परकोटे में स्थापित किया गया हैं.

स्वर्णमंडन के लिए तैयार सांचे अयोध्या लाने की तैयारी

20 मई के बाद से मंदिर के शिखरों को सोने से सजाने का कार्य शुरू होगा, जबकि 17 मई के बाद स्वर्णमंडन के लिए तैयार सांचे अयोध्या लाए जाएंगे. अभी दिल्ली में इन सांचों को अंतिम रूप दिया जा रहा है. 30 मई से पहले मंदिर का मुख्य शिखर और परकोटे के अन्य शिखर स्वर्ण आभा से दमकने लगेंगे, जिससे राम मंदिर की भव्यता और भी दिव्य हो जाएगी.

रामलला की प्राण प्रतिष्ठा विधिवत रूप से हुई थी संपन्न

इससे पहले, 22 जनवरी 2024 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा विधिवत रूप से संपन्न हुई थी, जिसमें देशभर के संत, शंकराचार्य, धर्माचार्य, और लाखों श्रद्धालु शामिल हुए थे. यह ऐतिहासिक क्षण पूरे देश ने श्रद्धा और भावनाओं के साथ टीवी और सोशल मीडिया पर देखा था.

अब प्राण प्रतिष्ठा पार्ट-2 के तहत राम दरबार की प्रतिष्ठा

इसमें भगवान राम के साथ माता सीता, लक्ष्मण जी, भरत जी, शत्रुघ्न और भक्त हनुमान की भी भव्य मूर्तियों को विधिवत रूप से मंदिर के प्रथम तल पर विराजमान किया जाएगा. राम मंदिर ट्रस्ट के अनुसार, मंदिर का प्रथम तल जून के पहले सप्ताह तक पूरी तरह तैयार हो जाएगा. इसी के बाद भव्य आयोजन होगा. इस कार्यक्रम में भी देश-विदेश से श्रद्धालुओं और संतों के आने की उम्मीद है.

राम मंदिर के निर्माण का कार्य अंतिम चरणों में

राम मंदिर के निर्माण का कार्य तेजी से अपने अंतिम चरणों की ओर बढ़ रहा है. निर्माण का कार्य लार्सन एंड टुब्रो कंपनी द्वारा किया जा रहा है, जबकि निगरानी की जिम्मेदारी टाटा कंसल्टिंग इंजीनियर्स के पास है. मंदिर के गर्भगृह और गर्भगृह से जुड़े निर्माण कार्य पहले ही पूर्ण किए जा चुके हैं. अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण से न केवल धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिला है, बल्कि स्थानीय रोजगार, बुनियादी ढांचे और व्यापार को भी नई रफ्तार मिली है. आने वाले वर्षों में अयोध्या देश-दुनिया में एक विशाल धार्मिक और सांस्कृतिक केंद्र के रूप में स्थापित हो रहा है.

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