पाप के कारण बंद हो जाता है मनुष्‍य के अंदर का ज्ञान रूपी नेत्र: दिव्‍य मोरारी बापू  

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि जिस हृदय में गोपाल आ जाते हैं उस हृदय में फिर इंद्रियों की चंचलता नहीं रहती. गोपाल गाय चराते हैं, गाय इधर-उधर भागती है तो भागकर उन्हें पकड़ लेते हैं और बंसी की ध्वनि सुनाकर गायों को बिल्कुल शांत कर देते हैं, इसी तरह कन्हैया हम आपके अंदर आ गया, अब इंद्रियां यहां-वहां जायेंगी तो दौड़कर वापस ले आयेगा और बंसी सुना कर इन्द्रियों को शून्य बना देगा और हमारा आपका जीवन धन्य हो जायेगा क्योंकि वह गोपाल है. गोपाल जो गायों को पालना करे.

 गोपाल जो आराधना उपासना करने वालों के मन समेत इंद्रियों को संभाले. मन समेत इंद्रियां बहुत चंचल हैं.

भगवान श्यामसुन्दर जब प्रकट हुए तब कितने सुंदर थे, उनकी सुंदरता को मन में देखा करो, मानस नेत्रों से, मन में भी आंखें होती हैं. ज्ञान-चक्षु होते हैं. गीता में भगवान ने कहा है- अन्दर भी ज्ञान नेत्र है पाप के कारण वह बंद है. नाम जपते रहो और अन्दर की आंखों से कन्हैया को देखने की कोशिश करो, नाम का अंजन जब ज्ञान के नेत्रों में जाकर लगेगा तो आंखें खुल जायेंगी और अंदर ही मुस्कुराता हुआ कन्हैया नजर आने लग जायेगा. यह विश्वास करके चलो तब वह दिखता है बहुत को दिखा है.

श्रीशुकदेवजी ने भगवान की वह स्तुति की कि- जिन्होंने सुनी, वे भी भगवान् श्रीकृष्ण के चरित्र पर मुग्ध हो गये. अन्तिम समय में भगवान शुकदेव ने परीक्षित को ज्ञान का उपदेश देकर नहीं,  योगाभ्यास का उपदेश देकर नहीं, बल्कि श्रीमद्भागवत की कथा सुनाकर कन्हैया तक पहुंचाने के द्वार खोल दिये. भागवत की कथा सुनने वाला दोबारा माता के गर्भ में नहीं आता. भागवत सुनते-सुनते आपका हृदय शुद्ध हो जायेगा तो श्रीमद्भागवत ही कृष्ण बनकर आपके हृदय में प्रकट हो जायेगी. भागवत में लिखा है-

श्रीमद्भागवताख्योऽयं साक्षात् कृष्ण एव हि।। सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).

 

		

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