CBSE: केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने 2026 से कक्षा 10वीं की बोर्ड परीक्षाओं के तरीके में बड़ा बदलाव करने का ऐलान किया है. अब छात्रों को साल में दो बार परीक्षा देने का विकल्प मिलेगा. पहली परीक्षा मुख्य परीक्षा होगी जो फरवरी-मार्च में आयोजित की जाएगी, जबकि दूसरी परीक्षा मई में सुधार परीक्षा के रूप में होगी. इस निर्णय का उद्देश्य छात्रों पर से दबाव कम करना और उन्हें बेहतर प्रदर्शन का दूसरा मौका देना है.
सीबीएसई 2026 से
सीबीएसई परीक्षा 2026 के नए नियम
CBSE परीक्षा नियंत्रक संयम भारद्वाज ने जानकारी दी है कि अब 10वीं की बोर्ड परीक्षा दो चरणों में होगी पहला चरण फरवरी में और दूसरा मई में आयोजित किया जाएगा. हालांकि, इसमें एक खास बात ये है कि पहली परीक्षा में शामिल होना सभी छात्रों के लिए अनिवार्य होगा. वहीं दूसरी परीक्षा पूरी तरह से वैकल्पिक होगी. यानी अगर कोई छात्र अपने पहले प्रयास के अंकों से संतुष्ट नहीं है, तो वह दूसरी परीक्षा में बैठ सकता है.
यह व्यवस्था खासतौर पर उन छात्रों के लिए फायदेमंद होगी जो पहली बार में अपने प्रदर्शन से संतुष्ट नहीं होते. उन्हें अब पूरे एक साल का इंतजार नहीं करना पड़ेगा, बल्कि कुछ महीनों के भीतर ही अपनी तैयारी को सुधारने और दोबारा परीक्षा देने का मौका मिलेगा.
तीन विषयों में मिल सकेगा सुधार का मौका
छात्रों को विज्ञान, गणित, सामाजिक विज्ञान और भाषा जैसे मुख्य विषयों में से किसी भी तीन विषयों में नंबर सुधारने का विकल्प मिलेगा. इसका मतलब यह है कि छात्र केवल उन्हीं विषयों की परीक्षा दोबारा देंगे, जिनमें वे अपनी पहली कोशिश से संतुष्ट नहीं हैं.
परिणाम दो बार जारी होंगे
पहली परीक्षा के नतीजे अप्रैल में और दूसरी परीक्षा के नतीजे जून में घोषित किए जाएंगे. इससे छात्रों को एक ही शैक्षणिक सत्र में दो अवसर मिलेंगे और वे समय पर अपने करियर और आगे की पढ़ाई के लिए निर्णय ले सकेंगे.
NEP 2020 के तहत बदलाव
यह बदलाव राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020) के तहत किया गया है. नीति का मूल उद्देश्य शिक्षा को अधिक लचीला, समावेशी और छात्र-केंद्रित बनाना है. दो बार परीक्षा कराने का फैसला छात्रों के मानसिक तनाव को कम करेगा और उन्हें सीखने की प्रक्रिया में सुधार लाने का समय देगा.
CBSE की यह पहल विद्यार्थियों के शैक्षणिक विकास में मील का पत्थर साबित हो सकती है. परीक्षा प्रणाली में लचीलापन लाकर न केवल तनाव को कम किया जा सकेगा, बल्कि छात्रों को अपने प्रदर्शन को बेहतर बनाने का भी एक उचित मौका मिलेगा. यह बदलाव एक सकारात्मक दिशा में बड़ा कदम है जो भविष्य में अन्य बोर्डों के लिए भी एक आदर्श बन सकता है.
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