Nagpur: भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) भूषण रामकृष्ण गवई ने शुक्रवार (27 जून) को एक समारोह के दौरान भावुक हो गए. नागपुर जिला कोर्ट बार एसोसिएशन द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में CJI गवई को देश के सर्वोच्च न्यायिक पद पर पहुंचने के लिए सम्मानित किया गया. उन्होने अपने जीवन के निजी अनुभव और माता पिता के संघर्षों के बारे में बताया. इस दौरान उनकी आंखें नम हो गईं और आवाज भर्रा गई. CJI गवई ने बताया कि वह बचपन में वास्तुशास्त्री बनना चाहते थे, लेकिन उनके पिता का सपना कुछ और था.
माता-पिता की मेहनत और त्याग
कार्यक्रम के दौरान CJI गवई ने अपने परिवार की मुश्किलों को याद करते हुए कहा, ‘हम एक संयुक्त परिवार थे, जिसमें कई बच्चे थे. सारी जिम्मेदारी मेरी मां और चाची के कंधों पर थी.’ अपने पिता के सपने को पूरा करने के लिए उन्होंने आर्किटेक्ट बनने का इरादा छोड़ दिया और वकालत की राह चुनी. CJI गवई ने बताया कि जब उनकी नियुक्ति हाई कोर्ट के जज के लिए प्रस्तावित हुई, तब उनके पिता ने कहा, ‘अगर तुम वकील बने रहोगे, तो सिर्फ पैसों के पीछे भागोगे, लेकिन जज बनकर तुम अंबेडकर के दिखाए रास्ते पर चलोगे और समाज के लिए अच्छा काम करोगे.’ उनके पिता को भरोसा था कि उनका बेटा एक दिन भारत का मुख्य न्यायाधीश बनेगा.
सुनाया हेमा मालिनी का किस्सा
प्रधान न्यायाधीश को तुरंत ही यह अहसास हो गया कि दर्शक भावुक हो गए हैं और शायद माहौल को हल्का करने के लिए उन्होंने एक घटना को साझा किया जब नागपुर जिला अदालत में अभिनेत्री हेमा मालिनी के खिलाफ चेक बाउंस का मामला दर्ज किया गया था एवं उन्हें तथा पूर्व मुख्य न्यायाधीश शरद बोबड़े को हेमा मालिनी की ओर से बतौर वकील पेश होना था.
उन्होंने हंसते हुए कहा, ‘‘उस दिन हेमा मालिनी की एक झलक पाने के लिए अदालत कक्ष में काफी भीड़ थी, लेकिन हम इस भीड़ के बीच उस पल का आनंद लेने से खुद को रोक नहीं सके.’’
हंगामा मच गया था. हम भी उस पल को देखकर थोड़ा मजा ले रहे थे.’ CJI गवई ने यह भी बताया कि वह नवंबर 2025 में रिटायर होने के बाद अपना संस्मरण (मेमॉयर) लिखने की सोच रहे हैं.