Up news: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को अपने सरकारी आवास पर आयोजित उच्च स्तरीय बैठक में कारागार प्रशासन और सुधार सेवाओं की समीक्षा की. मुख्यमंत्री ने कहा कि गम्भीर बीमारियों या अशक्तता से ग्रसित बंदियों की समयपूर्व रिहाई प्रक्रिया को सरल, पारदर्शी और मानवीय दृष्टिकोण से परिभाषित किया जाना चाहिए.
मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि प्रदेश के सभी कारागारों में सर्वेक्षण कर घातक बीमारी, वृद्धावस्था या स्थायी अशक्तता वाले सिद्धदोष बंदियों की वास्तविक संख्या का आकलन किया जाए. महिलाओं और बुजुर्गों को प्राथमिकता के आधार पर रिहा करने की व्यवस्था की जाएगी.
बीमार बंदियों का सर्वे करने के भी निर्देश
सीएम ने कहा कि पात्र बंदियों की रिहाई स्वतः विचाराधीन होनी चाहिए और इसके लिए उन्हें अलग से आवेदन न करना पड़े. उन्होंने कहा कि जानलेवा बीमारियों से पीड़ित सिद्धदोष बंदी, जिन्हे रिहा किए जाने पर ठीक होने की संभावना है, या वृद्धावस्था, अशक्तता या बीमारी के कारण भविष्य में ऐसा अपराध करने में स्थायी रूप से असमर्थ बंदी, जिसके लिए वह दोषी ठहराया गया हो, जेलों में उनकी संख्या का सर्वे कराएं. इनमें महिलाओं, बुजुर्गों को प्राथमिकता के आधार पर रिहा करने की व्यवस्था हो.
इन बंदियों को नही किया जाएगा रिहा
सीएम ने कहा कि समाज की सुरक्षा सर्वोपरि है. इसलिए समयपूर्व रिहाई उन्हीं मामलों में की जानी चाहिए, जहां से सामाजिक जोखिम न हो. हत्या, आतंकवाद, देशद्रोह, महिला और बच्चों के विरुद्ध जघन्य अपराध जैसे मामलों में रिहाई कतई नहीं की जानी चाहिए. कैदियों को कृषि, गोसेवा आदि कार्यों से जोड़कर उनकी जेल अवधि के सदुपयोग करने की व्यवस्था की जाए.
उन्होंने कहा कि जेल मैनुअल में यह भी स्पष्ट रूप से परिभाषित किया जाना आवश्यक है कि किन बीमारियों को असाध्य रोग की श्रेणी में रखा जाएगा. प्रत्येक वर्ष जनवरी, मई और सितम्बर माह में पात्र बन्दियों के मामलों की स्वतः समीक्षा की व्यवस्था की जाए. यदि किसी बन्दी को रिहाई न दी जाए तो उसके कारण स्पष्ट रूप से दर्ज किए जाएं और उसे उस निर्णय को चुनौती देने का अधिकार प्रदान किया जाए.
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