पर्यटन, रोजगार, पर्यावरण संरक्षण को नई दिशा, हेमकुंड साहिब रोपवे प्रोजेक्ट को मिली हरी झंडी

Uttarakhand: उत्तराखंड में सड़क एवं परिवहन मंत्रालय के उपक्रम नेशनल हाईवे लॉजिस्टिक मैनेजमेंट लिमिटेड यानी एनएचएलएमएल के जरिए रोपवे का निर्माण किया जाएगा. रोपवे निर्माण के लिए विशेष प्रयोजन वाहन (एसवीपी) का गठन करने के लिए उत्तराखंड सरकार और एनएचएलएमएल के बीच मंगलवार को सचिवालय में एमओयू साइन किया गया. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की मौजूदगी में पर्वतमाला परियोजना के तहत केदारनाथ और हेमकुंड साहिब में रोपवे के विकास के लिए एमओयू हस्ताक्षर किया गया.

रोपवे प्रोजेक्ट की अनुमानित लागत

इन रोपवे में 4,100 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत वाली 12.9 किलोमीटर लंबी सोनप्रयाग-केदारनाथ परियोजना और 2,700 करोड़ रुपये की लागत वाली 12.4 किलोमीटर लंबी गोविंदघाट-हेमकुंड साहिब परियोजना शामिल है. 

मिनटों में तय होगा घंटों का सफर

बता दें कि केदारनाथ रोपवे परियोजना यात्रियों के लिए वरदान से कम नहीं होगी. अभी भक्तों को केदारनाथ मंदिर तक पहुंचने के लिए गौरीकुंड से 16 किलोमीटर तक बेहद चुनौतीपूर्ण यात्रा करनी पड़ती है. मौजूदा समय में यह दूरी पैदल, टट्टू, पालकी और हेलीकाप्टर से तय करनी होती है. रोपवे बनने के बाद 8 से 9 घंटे के सफर को महज 36 मिनट में तय किया जा सकेगा. हेमकुंड साहिब रोपवे 12.4 किमी का होगा जिससे 21 किमी की यात्रा आसान हो जाएगी. अभी तीर्थयात्रियों को गोविंदघाट से हेमकुंड साहिब तक 21 किलोमीटर की कठिन यात्रा करनी पड़ती है.

सीमांत क्षेत्रों में कनेक्टिविटी होगी बेहतर

सीएम धामी ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के मार्गदर्शन में रेल, रोड और रोपवे कनेक्टिविटी का राज्य में तेज़ी से विस्तार हो रहा है. इसके अंतर्गत चारधाम ऑलवेदर रोड, दिल्ली-देहरादून एलिवेटेड रोड, हल्द्वानी बाईपास, सीमांत क्षेत्रों में कनेक्टिविटी, और रेल मार्गों का विकास तेज़ी से किया जा रहा है.

CM धामी ने क्या कहा?

इस समझौते पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग राज्यमंत्री अजय टम्टा और राज्य के पर्यटन, धार्मिक मामलों और संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज की उपस्थिति में हस्ताक्षर किए गए.

सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि ये समझौता प्रदेश की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर को वैश्विक पटल पर नई पहचान दिलाने में सहायक होगा. साथ ही पर्यटन, रोजगार, पर्यावरण संरक्षण और बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में नई संभावनाओं का मार्ग बनाएगा.

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