Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि सभी प्रभु के ही रूप हैं- याद रखो! तुम्हारी खबर लेने के लिए परमात्मा किसी न किसी रूप में तुम्हारे दरवाजे पर अवश्य आते हैं। सम्भव है वे कभी दरिद्रनारायण के रूप में, कभी साधु वेष में, कभी ब्राह्मण बनकर या कभी दीन – दुःखी का रूप धारण कर तुमसे मिलने आते हों।
इनकी उपेक्षा करके या दुत्तकार कर घर से निकालो मत, नहीं तो प्रभु बहुत नाराज होंगे और फिर कभी तुम्हारे दरवाजे पर नहीं आयेंगे।और फिर जब तुम प्रभु के दरवाजे पर जाओगे तो तुम्हें भी वहां से दुत्कार कर बाहर निकाल दिया जायेगा।
अतः संसार में जो कुछ दिखाई देता है, उसे प्रभु का ही रूप समझकर विवेक और सद्भाव से जीवन यापन करो। कभी किसी का तिरस्कार मत करो। प्रत्येक के पास किसी न किसी रूप में प्रभु एक-आध बार मिलने के लिए आवश्यक आते हैं, परन्तु उस समय जीव गाफिल होता है।
प्रभु के सामने देखता भी नहीं, इससे प्रभु को बहुत बुरा लगता है। सबेरे सूर्य नमस्कार करने से तन और मन दोनों सुधारते हैं। सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।