ज्ञानी पुरूष को अचेतन में भी होते है परमात्मा के दर्शन: दिव्‍य मोरारी बापू    

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि जहां भेद, वहाँ भय- जो प्रत्येक प्राणी को भगवद् भाव से देखने की आदत डालता है, उसका मन कभी नहीं बिगड़ता. ऐसे सत्पुरुषों का कोई बैरी भी नहीं होता.

ज्ञानी पुरुष तो अचेतन में भी परमात्मा के दर्शन करते हैं, क्योंकि वे ब्रह्माकार वृत्ति एवं ब्रह्मदृष्टि से युक्त होते हैं. सम्पूर्ण जड़- चेतन प्रकृति में जो हमेशा हरि के दर्शन करता है, उसे प्रभु का वियोग नहीं सहना पड़ता, क्योंकि वह सदा सर्वदा परमात्मा से ही व्याप्त एवं ओतप्रोत रहता है. सर्वत्र हरिदर्शन की भावना ही सम्पूर्ण जीवन को हरिमय बनाता है. फिर हरि के साथ एकरूपता प्राप्त होती है और सम्पूर्ण भेद मिट जाता है.

जहां भेद है, वहां भय है. परीक्षित को तो डसने के लिए आने वाले तक्षक सांप में भी स्वयं के प्रभु ही दिखाई दिए, इसलिए उसे काल का कोई भय नहीं रहा. प्रभु का भक्त सुख में छलकता नहीं और दुःख में मुरझाता नहीं. सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).

 

		

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