संतों का संग, कथा में प्रेम समेत भगवान को पाने के है ये नव रास्‍ते: दिव्‍य मोरारी बापू

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि श्रीरामचरितमानस में प्रभु श्रीराम ने नवधाभक्ति का उपदेश शबरी माँ के सनमुख किया. ईश्वर को पाने के ये नव रास्ते हैं. शबरी माँ ने इसी मार्ग से ईश्वर को पाया. भगवान भी चाहते थे कि शबरी माँ ने जो साधन करके ईश्वर को प्राप्त किया उस साधन का संसार में प्रकाश हो, ताकि बहुत से भक्त उस साधन का आश्रय लेकर ईश्वर की प्राप्ति करें और अपने जीवन को सफल बनायें.

ईश्वर को पाने के यह नव रास्ते हैं. इससे चलकर हम परमात्मा के चरणों तक पहुंच सकते हैं और अपने जीवन को सफल बना सकते हैं. संतों का संग, भगवान की कथा में प्रेम, अमान होकर संत महापुरुषों की सेवा, छल कपट का त्याग करके भगवत गुणगान, पूर्ण विश्वास के साथ मंत्र का जाप, धीरे-धीरे संसार से मन हटाकर भगवान में लगाना, सबमें परमात्मा का दर्शन करना, यथा लाभ सन्तोष और सरलता. इसमें से नवधाभक्ति का एक भी साधन किसी के जीवन में बन जाए तो वह प्रभु को अत्यन्त प्रिय है. शबरी माँ में नव की नव भक्ति विद्यमान थी. इसलिए शबरी मां के यहां स्वयं भगवान चलकर पधारे.

किष्किन्धाकाण्ड दोहा चौपाई की दृष्टि से सबसे कम दोहा चौपाई वाला सोपान है. जहाँ बालकाण्ड में तीन सौ इकसठ दोहा है, अयोध्याकाण्ड में तीन सौ छब्बीस दोहा है वही किष्किन्धाकाण्ड में केवल तीस दोहा है. लेकिन यह हनुमत उपासना का सोपान है, इसलिए किष्किन्धाकाण्ड की बहुत महिमा है. इसी सोपान में श्रीहनुमानजी भगवान श्री राम से मिले.

सुन्दरकाण्ड भक्ति का सोपान है. बहुत से ऐसे ग्रह गोचर हैं जो हमारे आपके कार्यों में व्यवधान करते हैं सुन्दरकाण्ड का पाठ करने से सारे ग्रह अनुकूल हो जाते हैं. नित्य सुन्दरकाण्ड का पाठ करने से कुछ भी असम्भव नहीं है. बड़े से बड़ा संकट दूर हो जाता है और बड़े से बड़े कार्यो में सफलता मिलती है.

कल की कथा में रामेश्वर स्थापना, श्री राम सेतु का निर्माण, रावण पर विजय, और श्रीरामराज्याभिषेक की कथा होगी. सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).

 

		

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