Lord Shiva Third Eye: भगवान शिव को देवों के देव महादेव कहा जाता है. ये त्रिदेवों में से एक देव है, जिन्हें कई सारे नामों शंकर, महेश, नीलकंठ, भोलेनाथ और गंगाधार आदि से जाना जाता है. भगवान भोलनाथ की पूरे विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने से व्यक्ति को सभी संकटों से मुक्ति मिल जाती है.
वहीं, ऐसी भी मान्यता है कि भगवान भोलेनाथ जब रौद्र रूप में धारण करते है, तो उनकी तीसरी आंख खुलती है और उस समय पृथ्वी पर हाहाकार मच जाता है. आपको बता दें कि भगवान शिव के तीसरे नेत्र में कई सारे रहस्य छिपे है, जिनके बारे में शायद बहुत कम ही लोग जानते है. वहीं, आपके भी मन में कभी न कभी ये सवाल जरूर आया होगा कि आखिर भगवान शिव की तीसरी आंख कैसे प्रकट हुई, तो आज हम इस लेख के माध्यम से आपको इसी के बारे में बताने वाले है तो देर किस बात की आइए जानते है.
Lord Shiva Third Eye: भगवान शिव की तीसरी आंख
धार्मिक मान्यताओं की मानें तो ऐसा कहा जाता है कि एक बार हिमालय पर्वत पर भगवान शिव सभा का आयोजन कर रहे थे. उस दौरान अचानक माता पार्वती भी वहां पहुंच गई और उन्होंने देवों के देव महादेव के दोनों नेत्र पर अपना हाथ रख दिया. जैसे ही मां पार्वती ने भगवान शिव के दोनो आंखों पर हाथ रखा वैसे ही पूरी सृष्टि में अंधेरा छा गया. जिसके बाद चारों तरफ हाहाकार मच गया.
Lord Shiva Third Eye: सृष्टि का विनाश होना निश्चित
पशु-पक्षी व्याकुल होकर इधर-ऊधर भागने लगे. सृष्टि तेजी से विनाश की ओर जाने लगी, जो भगवान शिव से देखा नहीं गया. ऐसे में उनके ललाट पर तेज ज्योतिपुंज प्रकट हुआ. जो महादेव का तीसरा नेत्र (Lord Shiva Third Eye) बना. महादेव का तीसरा नेत्र खुलते ही पूरी सृष्टि फिर से रोशनी से जगमगा उठी.
वहीं, जब माता पार्वती ने भगवान शिव से तीसरे नेत्र के बारे में पूछा, तो उन्होंने कहा कि उनके नेत्र जगत के पालनहार है. यदि वह तीसरा नेत्र प्रकट नहीं करते, तो सृष्टि का विनाश होना निश्चित था.
Lord Shiva Third Eye: भगवान शिव के तीसरी आंख का संकेत
भगवान भोलेनाथ की तीसरी आंख बेहद ही शक्तिशाली है. कहा जाता है कि उनके तीसरी आंख से भूत, भविष्य और वर्तमान तीनों दिखाई देता है. यही वजह है कि भगवान शिव की तीसरी आंख को अधिक शक्तिशाली माना गया है. कहा जाता है कि वह तीसरी आंख से सबकुछ देख सकते हैं, जो सामान्य आंखो से नहीं देखा जा सकता. साथ ही ये भी कहा जाता है कि जब जब भोलेनाथ की तीसरी आंख खुलती है तब तब नए यु्ग का सूत्र पात होता है.
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(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी विभिन्न मान्यताओं/धर्मग्रन्थों पर आधारित है. Janta Mirror इसकी सटीकता या विश्वसनीयता की पुष्टि नहीं करता.)