सन्तोष और उच्च विचारों से युक्त भक्त पर बरसती है प्रभु की अमृत धारा  

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि पंडित आत्मदेव एवं संत का सत्संग-क्या प्रभु ने आपको पुत्र नहीं दिया? पुत्र न हो तो दुःखी क्यों होते हो? पुत्र नहीं है तो इसमें बुरा क्या है? पुत्र यदि बहुत लायक हो तो मां-बाप उसकी आसक्ति में ही फंसे रहते हैं। और यदि पुत्र लायक न हो तो मां-बाप के कष्टों का कोई पार नहीं। इसके बजाय तो सन्तान न हो तो किसी प्रकार की आसक्ति भी न रहे, वेदना भी न सहनी पड़े और मन हमेशा प्रभु के चरणों में लगा रहे।

सच्चा भक्त इस प्रकार के सन्तोष और उच्च विचारों से युक्त होता है। इसलिए प्रभु की आंखें उस पर हमेशा अमृत बरसाती रहती है। इसीलिए उस पर प्रभु हमेशा प्रसन्न रहते हैं।इसीलिए भक्त की पुकार सुनकर प्रभु तुरन्त दौड़े चले आते हैं। भोग भोगने से क्षणिक सुख मिलता है, किन्तु शान्ति नहीं मिलती। सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना,।

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