Shardiya Navratri 2025: शारदीय नवरात्र के नौ दिनों तक मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की पूजा-अर्चना की जाती है. ऐसे में आज यानी नवरात्र के तीसरे दिन देवी चंद्रघंटा की पूजा-अर्चना का विधान है. मान्यता है कि देवी मां के इस स्वरूप की पूजा से साधक के बौद्धिक क्षमता का विकास होता है, साथ ही आत्मविश्वास भी बढ़ता है. ऐसे में चलिए जानते है देवी चंद्रघंटा की पूजा विधि, मंत्र और प्रिय भोग के बारे में.
Shardiya Navratri 2025: इस तरह करें पूजा
इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवित्त होने के बाद पूजा स्थल को साफ करें और गंगाजल का छिड़काव करें. अब मां को गंगाजल से स्नान कराएं. पूजा में देवी को धूप, दीप, चंदन, सिंदूर, पीले व लाल रंग के फूल आदि अर्पित करें. इसके बाद अब मां चंद्रघंटा के मंत्र “ॐ देवी चन्द्रघण्टायै नमः” का जप करें. अंत में दीपक जलाकर देवी मां की आरती करें और सभी लोगों में प्रसाद बांटें.
Shardiya Navratri 2025: अर्पित करें ये चीजें
बता दें कि नवरात्र के तीसरे दिन पूजा में आप मां चंद्रघंटा को केसर मिलाकर खीर का भोग लगा सकते हैं. उन्हें केसर की खीर प्रिय मानी गई है. साथ ही उन्हें लौंग, इलायची, पंचमेवा और दूध से बनी मिठाई भी अर्पित की जा सकती है. वहीं, मां चंद्रघंटा की कृपा पाने के लिए उन्हें कमल, गुलाब, बेला या चमेली के फूल भी अर्पित कर सकते हैं.
मां चंद्रघंटा के मंत्र –
1. ॐ देवी चन्द्रघण्टायै नमः.
2. या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता.
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
प्रार्थना मंत्र –
पिण्डज प्रवरारूढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता.
प्रसादं तनुते मह्यम् चन्द्रघण्टेति विश्रुता॥
4. मां चन्द्रघण्टा ध्यान मंत्र –
वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्.
सिंहारूढा चन्द्रघण्टा यशस्विनीम्॥
मणिपुर स्थिताम् तृतीय दुर्गा त्रिनेत्राम्.
खङ्ग, गदा, त्रिशूल, चापशर, पद्म कमण्डलु माला वराभीतकराम्॥
पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानालङ्कार भूषिताम्.
मञ्जीर, हार, केयूर, किङ्किणि, रत्नकुण्डल मण्डिताम॥
प्रफुल्ल वन्दना बिबाधारा कान्त कपोलाम् तुगम् कुचाम्.
कमनीयां लावण्यां क्षीणकटि नितम्बनीम्॥
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