Mandodari: रामायण में श्रीराम की पत्नी माता सीता की जीवनी का बखूबी बखान किया गया है. लेकिन रावण की पत्नी मंदोदरी का रामायण मे बहुत ही कम चर्चाए की गई है. रामायण के खलनायक रावण के बारे में तो आपने बहुत कुछ पढ़ा और सुना होगा लेकिन मंदोदरी के बारे में आज हम आपको कुछ ऐसी बातें बताने जा रहे हैं जो स्त्रियों को उनसे जरुर सीखना चाहिए.
धर्म का पालन
रामायण में मंदोदरी का वर्णन एक सुंदर, पवित्र और धर्मनिष्ठ महिला के रूप में किया गया है जिसने माता सीता के अपने पति द्वारा किए गए अपहरण का भी विद्रोह किया। अधर्मी रावण की पत्नी होने के बावजूज मंदोदरी सही गलत का फर्क जानती थी लेकिन उन्होंने कभी धर्म का उल्लंघन नहीं किया। रामायण में कई बार इसका प्रसंग आया है कि मंदोदरी ने अंतिम समय तक रावण को समझाने का बहुत प्रयास किया कि वह सीता को लौटा दे तथा श्रीराम की शरण में चले जाएं लेकिन रावण को ये स्वीकार नहीं था. मंदोदरी श्रीराम को दिव्य और धर्मपरायण मानती थीं.
सुंदरता और बुद्धिमान
मंदोदरी ने वेदों, शास्त्रों और विभिन्न कलाओं में शिक्षा प्राप्त की थी. उनकी बुद्धिमत्ता और ज्ञान का स्तर इतना उच्च था कि कहा जाता है रावण भी उनसे परामर्श लेता था. मंदोदरी ने कभी अपने पराक्रम और सुंदरता का घमंड नहीं किया. इससे ये सीख मिलती है कि अगर हम पढ़े-लिखे, या सौंदर्य से परिपूर्ण हैं तो इसका मतलब ये नहीं है कि दूसरों को नीचा दिखाने की कोशिश करें. जो लोग लगातार दूसरों का अपमान करते हैं, उनका पतन होना तय हो जाता है
धर्मपरायण पत्नी
एक आदर्श पत्नी, एक बुद्धिमान सलाहकार, नैतिकता और एक धर्मपरायण स्त्री का प्रतीक है. मंदोदरी न केवल रावण की पत्नी थीं, बल्कि उसकी सलाहकार और मार्गदर्शक भी थीं. वह रावण से बेहद प्रेम करती थी. उसने रावण को महिलाओं के प्रति दुर्व्यवहार करने से कई बार रोका लेकिन अहंकारी रावण ने उसकी कभी न सुनी। जिससे उसका अंत हो गया।
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