Motivational Tips: दो अक्टूबर का दिन हर एक भारतीय के लिए बेहद खास है. यह दिन भारतीय इतिहास के पन्नों में हमेशा के लिए अमर है. यह वही दिन है, जब भारत की आजादी के सपने को सच करने वाले महात्मा गांधी का जम्न हुआ था. इस मौके पर हर साल 2 अक्टूबर को गांधी जयंती मनाई जाती है. यह दिन बापू के प्रति अपना आभार जाहिर करने और उनका सम्मान करने का एक शानदार मौका है.
इस दिनों को अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में भी मनाया जाता है. महात्मा गांधी, जिसका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था, ने अहिंसा के बल पर भारत को आजाद कराने में एक अहम भूमिका निभाई थी. उन्होंने अपना पूरा जीवन भेदभाव को हटाने और देश को आजाद कराने में लगा दिया. इस मौके पर आज हम आपको बापू के कहे कुछ शब्द और नारे याद दिलाएंगे, जिन्हें सुनकर आपके रोम-रोम में देशभक्ति भर जाएगी.
1. गौरव लक्ष्य पाने के लिए कोशिश करने में हैं, न कि लक्ष्य तक पहुंचने में.
2. मेरा धर्म सत्य और अहिंसा पर आधारित है. सत्य मेरा भगवान है, अहिंसा उसे पाने का साधन.
3. केवल प्रसन्नता ही एकमात्र इत्र है जिसे आप दूसरों पर छिड़कें तो उसकी कुछ बूंदें अवश्य ही आप पर भी पड़ती हैं.
4. आजादी का कोई अर्थ नहीं है यदि इसमें गलतियां करने की आजादी शामिल न हों.
5. उफनते तूफान को मात देना है तो अधिक जोखिम उठाते हुए हमें पूरी शक्ति के साथ आगे बढ़ना होगा.
6. स्वतंत्रता एक जन्म की भांति है. जब तक हम पूर्णतः स्वतंत्र नहीं हो जाते तब तक हम परतंत्र ही रहेंगे. जब तक गलती करने की स्वतंत्रता ना हो तब तक स्वतंत्रता का कोई अर्थ नहीं है.
7. आंख के बदले आंख पूरे विश्व को अंधा बना देगी.
8. अहिंसा ही धर्म है, वही जिंदगी का एक रास्ता है.
9. किसी देश की महानता और उसकी नैतिक उन्नति का अंदाजा हम वहां जानवरों के साथ होने वाले व्यवहार से लगा सकते हैं.
10. ऐसे जिएं कि जैसे आपको कल मरना है और सीखें ऐसे जैसे आपको हमेशा जीवित रहना है .
11. निःशस्त्र अहिंसा की शक्ति किसी भी परिस्थिति में सशस्त्र शक्ति से सर्वश्रेष्ठ होगी.
12. कमजोर लोग कभी माफ नहीं कर सकते, माफी मजबूत लोगों का गुण है.
13. दुनिया में जो बदलाव आप देखना चाहते हैं, वह खुद बनिए.
14. एक राष्ट्र की संस्कृति लोगों के दिलों में और आत्मा में बसती है.
15. जब तक आप किसी को वास्तव में खो नहीं देते तब तक आप उसकी अहमियत नहीं समझते.
16. कुछ करना है तो प्यार से करें, वरना न करें.
17. क्रूरता का उत्तर क्रूरता से देने का अर्थ अपने नैतिक व बौद्धिक पतन को स्वीकार करना है.
इसे भी पढ़ें:-शुगर और स्ट्रेस का रामबाण इलाज, रोजाना करें ये 5 आसान योग