लखनऊ। उत्तर प्रदेश में कृषक उत्पादक संगठनों (एफपीओ) के प्रोत्साहन की पहल का नतीजा नजर आने लगा है। अपने स्तर पर सुल्तानपुर में औषधीय पौधों की खेती करने वाली किसानों की संस्था दिव्यनारायणी बायो एनर्जी फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी को डाबर आयुर्वेट कंपनी का साथ मिल गया है। कंपनी एफपीओ को तुलसी, चिरैता और ब्राह्मी की खेती में कार्यशील पूंजी के साथ तकनीकी सपोर्ट देगा और कच्चे माल की बिक्री सुनिश्चित कराएगा। कंपनी के निदेशक विनय शुक्ला ने बताया आयुर्वेट कंपनी के साथ तीन फसलों के लिए करार हुआ है। एफपीओ 150-150 एकड़ में तुलसी व चिरैता की खेती करेगा। 20 एकड़ में ब्राह्मी की खेती की योजना है। ये औषधियां काफी गुणकारी हैं और कोविड काल में इनकी डिमांड काफी बढ़ गई है।
कंपनी एफपीओ को न सिर्फ खेती की शुरुआत के लिए कार्यशील पूंजी उपलब्ध करा रही है बल्कि खेती में किस समय क्या करना है, कैसे करना है और किस-किस तरह के संसाधन की जरूरत है, यह भी बता रही है। पूरा तकनीकी सपोर्ट मिल रहा है। 20 लाख रुपये का करार हुआ है। अब तक 61 एकड़ में तुलसी की खेती शुरू हो चुकी है। बाकी पर भी काम चल रहा है। इससे लगातार किसान जुड़ रहे हैं। शुक्ला ने बताया कि औषधीय खेती तकनीक व मंडी न मिलने से फ्लॉप हो जा रही थी। उचित लाभ नहीं मिल पाता था। लेकिन अब खेती की शुरुआत से फसल तैयार कर कच्चे माल में बदलने तक हर स्तर पर तकनीकी सपोर्ट उपलब्ध है। इसके साथ ही खेती के साथ ही कच्चे माल की बिक्री सुनिश्चित है। ऐसे में यह पहल किसानों की आय बढ़ाने वाली साबित होगी। दिव्य नारायणी एफपीओ औषधीय खेती के साथ-साथ हर्बल उत्पादों को तैयार करने का भी काम कर रहा है। यह नित्यामृत हर्बल पेय, सुधामृत चाय, कैमोमाइल चाय, भुने हुए बीजों का मिश्रण, 12 प्रकार की दालों का मिश्रण, मल्टीग्रेन आटा, हर्बल साबुन, शक्तिप्रकाश लड्डू, सत्तू लड्डू, गुलाबी नमक व खजूर गुण जैसे उत्पाद तैयार कर रहा है। इसके अलावा साबुन, फेसवास, कामधेनु मालिश तेल, फेसपैक, फूलों से बनी हर्बल लिपस्टिक, फूलों से बनी हर्बल धूपबत्ती भी तैयार कर रहा है। कई तरह के मसाले, अचार व औषधीय हर्बल उत्पाद तैयार कर रहा है।