कोरोना काल में भी प्रासंगिक हैं भगवान बुद्ध की शिक्षाएं

वाराणसी। त्रिपिटकाचार्य डॉ. भिक्षु धर्मरक्षित के महापरिनिर्वाण दिवस के अवसर पर चार दिवसीय अंतरराष्ट्रीय वेबिनार आयोजित हुआ। पालि सोसायटी आफ इंडिया एवं संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित वेबिनार में पालि, थेरवाद और बौद्ध धर्म की शिक्षाओं पर विमर्श हुआ। अध्यक्षता करते हुए नव नालंदा महाविहार के पूर्व निदेशक प्रो. रवींद्र पंथ ने कहा कि बौद्ध धर्म आज के कोरोना काल में बहुत ही प्रासंगिक है। भगवान बुद्ध द्वारा बताई गई ध्यान-साधना मानव दुख के निदान में सहायक है। पालि सोसायटी के महासचिव प्रो. रमेश प्रसाद ने पालि भाषा व साहित्य के विकास में की जाने वाली गतिविधियों पर प्रकाश डाला। मुख्य अतिथि प्रो. सी उपेंद्र राव रहे। वेबिनार में पालि भाषा और साहित्य के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले पांच विद्वानों को त्रिपिटकाचरिय भिक्खु धम्मरक्खित पालि सम्मान से सम्मानित किया गया। वर्ष 2019 का पालि सम्मान विपश्यना विशोधन विन्यास के निदेशक प्रो. अंगराज चौधरी, 2020 का पालि सम्मान म्यांमार बुद्ध विहार कुशीनगर के ज्ञानेश्वर महाथेरो और नव नालंदा महाविहार के प्रो. उमाशंकर व्यास को दिया गया। वर्ष 2021 का पालि सम्मान नव नालंदा महाविहार के पूर्व निदेशक प्रो. दीपक कुमार बरूआ और दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो. संघसेन सिंह को दिया गया।

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