भक्ति में पराजित होकर भी होती है विजय: दिव्य मोरारी बापू

राजस्थान/पुष्कर। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि भगवान् कृष्ण का बहुआयामी व्यक्तित्व है और हर आयामों में कृष्ण पूर्ण हैं। आप देखिए दूसरे अवतारों ने जो कुछ किया है, सब कुछ कृष्ण कर सकते हैं, लेकिन कृष्ण ने जो कुछ भी किया, सब कुछ दूसरे अवतार नहीं कर सकते। हर आयामों में कृष्ण पूर्ण है, वे श्रेष्ठ गृहस्थ भी हैं, वे श्रेष्ठ सन्यासी भी हैं। उनके जैसा रागी कोई नहीं, तो उनके जैसा बैरागी कोई नहीं। वे जो भी करते हैं हमें अच्छा लगता है। वे द्रौपदी के चीर बढ़ाते हैं तो भी हमें अच्छे लगते हैं। वे गोपियों का माखन चुराते हैं, चोरी करते हैं तो भी हमें अच्छे लगते हैं और अर्जुन को चोरी न करने का उपदेश देते हैं तो भी हमें अच्छे लगते हैं। किसी ने यह नहीं कहा कि आप की कथनी और करनी में भेद है। संसार में कभी आपने यह देखा है कि चोर को प्रतिष्ठा मिले और न केवल प्रतिष्ठा मिले, लोग उसे पूजें। ऐसे प्रभु को देखा है, जिससे लुटने के लिए लोग लालायित हों और जिसको लूटे वो धनवान हो जाय और जिसको न लूटे वह गरीब रह जाय। गोपी यमुना जल भरने जाती थी और वापस घर पहुंचती थी, अभी कंकर आयेगा, अभी आयेगा, अभी मटकी फूटेगी, धीरे धीरे चलती थी और फिर घर पहुंच जाय, मटकी बच जाय तो रो देती थी। आज मेरी मटकी बच गयी, बड़े दुःख की बात है। गोपी निकले और कन्हैया थोड़ी उधम न मचावें तो यह गोपी के स्वरूप का और गोपी की भक्ति भावना का अपमान है। और जब कन्हैया थोड़ी उधम मचाते हैं तो गोपी धन्य हो जाती है। आज मेरी भक्ति भावना सफल हो गयी। यह विलक्षण लीला है। दुनियां से उल्टी गति है, यहां भक्ति में सम्मान अपमान लगता है और भक्ति में अपमान सम्मान हो जाता है। भक्ति में पराजित होना विजयी बनना है और भक्ति में विजयी बनना पराजित होना है। गोपी हमेशा कृष्ण से हारती है और गोपी को अन्त में यही कहना पड़ता है, श्याम चलो तुम विजई हुए, हम हारे। और यह हम हारे कहकर गोपी जीत जाती है। यहां हारना ही जीतना है, यहां जीतना ही हारना है। दूसरे लोग भोग लगाते हैं ठाकुर जी को, लो प्रभु प्रेम से आरोगो, हमने भाव से भोग लगाया है। और कन्हैया जब गोपी के पास माखन मांगते है, तो गोपी कहती हट, दूर हट नहीं दूंगी। यहां भगवान छीन कर खाते हैं। यही भक्ति की लीला है। गोपी यहां अपने मन को कृष्ण में लगाने का नहीं, बचाने का प्रयास करती है और गोपी का यह प्रयास विफल हो जाता है, तो गोपी का जीवन सफल हो जाता है। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं नवनिर्माणाधीन गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना-कोरोना कॉल में स्वास्थ्य विभाग के नियमों का पालन करें और सुरक्षित रहे। दो गज की दूरी और मास्क है जरूरी इसे ना भूलें। श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।

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