लखनऊ। प्रदेश में एक से पांच साल के तीब्र अति कुपोषित (सैम) और मध्यम अति कुपोषित (मैम) बच्चों की पहचान के साथ ही उनके स्वास्थ में सुधार के लिए बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग ने नई पहल की शुरुआत की है। इसके लिए आईसीडीएस निदेशालय ने तीन महीने तक एक विशेष अभियान चलाने का खाका तैयार किया है। एक जुलाई से शुरू होने वाला यह अभियान 31 सितंबर को समाप्त होगा। ‘पोषण संवर्धन की ओर एक कदम’ के नाम चलाए जाने वाले इस अभियान में चिन्हीत सैम व मैम बच्चों के साथ ही उनकी माताओं के स्वास्थ्य प्रबंधन पर जोर दिया जाएगा। तीन महीने तक चलने वाले इस अभियान को संचालन तीन थीम पर किया जाएगा। निदेशक आईसीडीएस डॉ. सारिका मोहन ने बताया कि तीन महीने के इस विशेष अभियान के शुभारंभ करने से पहले ऐसे बच्चों की पहचान के लिए एक से पांच वर्ष की आयु वाले बच्चों का बेसलाइन सर्वे कराया जा रहा है। इसमें उनका वजन कराया जा रहा है, जिसके आधार उनको सैम व मैम बच्चों के तौर पर चिन्हित किया जाएगा। इसके लिए सभी आंगनबाड़ी केंद्रों पर एक आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को एक प्रारूप उपलब्ध कराया गया है। वह इसी प्रारूप पर चिन्हीत बच्चों का विवरण दर्ज कर निदेशालय को उपलब्ध कराएंगी। इस काम को पूरा करने के लिए 24 जून अंतिम तिथि रखी गई है। इस आधार पर ही परियोजनावार रिपोर्ट तैयार की जाएगी। इसके बाद एक जुलाई को तीन महीने के विशेष अभियान का शुभारंभ किया जाएगा। तीन महीने के अभियान के लिए तीन थीम तैयार किए गए हैं। पहले महीने का अभियान मातृ पोषण को केंद्र में रखकर चलाया जाएगा, जबकि दूसरे महीने के अभियान का थीम बाल पोषण होगा। हालांकि थीम के अलावा पोषण प्रबंधन से संबंधित अन्य गतिविधियां भी जारी रहेंगी। इसी प्रकार तीसरे महीने में अभियान के लिए प्रथम हजार दिवस थीम रखा गया है। यानि इस थीम के दौरान कुपोषित बच्चों और उनकी माताओं को एक हजार दिन तक पोषाहार रेसिपी, वजन की निगरानी, चौरंगी भोजन और अनुपूरक पोषाहार आदि के सेवन के बारे जानकारी दी जाएगी।