डटकर करना चाहिये समस्या का समाधान: दिव्य मोरारी बापू

राजस्थान/पुष्कर। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि स्वामी विवेकानंद लिखते हैं कि मेरे जीवन में एक ऐसी घटना घटी, जिसका मेरे मन पर गहरा प्रभाव पड़ा, मैं काशी में रास्ते से जा रहा था तो बंदर मेरे पीछे पड़े, मैं भाग रहा था और बंदर मेरे पीछे-पीछे सताते हुए आ रहे थे। एक स्वामी जी मिले रास्ते में, उन्होंने मुझे कहा कि देखो सामना करो, भागो मत, नहीं तो वे और सतायेंगे। स्वामी जी की बात सुनकर मैंने बंदर का सामना किया। जैसे ही मुड़कर सामना किया, वे बंदर भाग गये। उस छोटी-सी घटना ने मेरे मन पर इतना प्रभाव डाला, तब से मैंने एक मंत्र मन में ठान लिया कि भगोड़ापन कोई समस्या का समाधान नहीं है। पलायनबाद समस्या का समाधान नहीं है, डटकर सामना करना चाहिये। समस्या, समस्या ही नहीं है, हम समस्या से भाग रहे हैं, यही समस्या है। हम समस्या से मुख मोड़ लेते हैं, यही सबसे बड़ी समस्या है। समस्या चाहे कश्मीर की हो, चाहे पंजाब की हो, चाहे आसाम की हो। समस्या कोई समस्या नहीं है, उन समस्याओं की उपेक्षा करने की जो वृत्ति बन गयी है, यही सबसे बड़ी समस्या है। जब दुर्जनता का सामना नहीं करते सज्जन, तो दुर्जनता और मजबूत होती है संसार में। दूर्जनता को बढ़ावा भगोड़ी सज्जनता ही देती है। सज्जनता के भागने के कारण ही दुर्जनता पलती है। समाज को दुर्जनों की दूर्जनता जितना नुकसान नहीं करती उतना नुकसान सज्जनों की निष्क्रियता से होता है। बहुत सुंदर प्रश्न करते हैं व्यास जी कि व्यक्ति गुणवान भी हो, वीर्यवान भी हो, ऐसा चरित्र कौन सा है? देवर्षि! मुझे ऐसे चरित्र के बारे में बताइये जिसको मैं शब्दबद्ध करूं। संसार को आदर्श जीवन के लिए मार्गदर्शन मिले। भगवान् कृष्ण ने अर्जुन को युद्ध के लिये तैयार किया। अब देखिये जो सज्जन है भीष्म, द्रोण, कर्ण इनको पहले मरवाया और दुर्योधन को सबसे अंत में। कृष्ण का दर्शन है कि भले ये लोग सज्जन हैं, लेकिन जो सज्जनता, दूर्जनता की रक्षा कर रही हो, वह सज्जनता पहले मिटाने योग्य है। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं नवनिर्माणाधीन गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना-श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर राजस्थान।

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