गोरखपुर। दाल व्यापारियों को अब उनके स्टॉक की जानकारी प्रत्येक सप्ताह प्रशासन को देनी होगी। केंद्र सरकार के खाद्य, सार्वजनिक वितरण एवं उपभोक्ता मामले विभाग ने सभी राज्य सरकारों को आवश्यक वस्तु अधिनियम के अंतर्गत यह आदेश दिए हैं। आदेश के मुताबिक दाल इंडस्ट्रीज, मिलर्स, व्यापारियों एवं अन्य खाद्य व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को हर सप्ताह, खाद्य विभाग में अपने स्टॉक का लेखा-जोखा प्रस्तुत करना होगा। व्यापारियों ने इस नई व्यवस्था पर आपत्ति जताई है। हाल ही यह निर्देश दाल व्यापारियों तक पहुंचे हैं। इसके बाद से ही व्यापारियों में खलबली मची हुई है। पहले ही तमाम कागजी कार्रवाई करने से आजिज व्यापारियों को यह आदेश नागवार गुजरा है। इस पर रोक लगवाने के लिए व्यापारी सक्रिय भी हो गए हैं। चेंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष संजय सिंघानिया ने भारत सरकार से अनुरोध किया है कि दाल व्यापारियों के लिए आवश्यक वस्तु अधिनियम के अंतर्गत दालों के स्टॉक की साप्ताहिक जानकारी प्रस्तुत करने के निर्देश पर पुनर्विचार करें। साथ ही कहा कि इसे निरस्त किया जाना व्यापारियों के लिए बहुत बड़ा तोहफा होगा। संजय सिंघानिया ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं वाणिज्य एवं उद्योग और खाद्य, सार्वजनिक वितरण एवं उपभोक्ता मामले मंत्री पीयूष गोयल और कृषि विकास एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को पत्र लिख कर अनुरोध किया है कि देश के दाल उद्योगों एवं व्यापार के हित में इस आदेश को तत्काल प्रभाव से समाप्त किया जाए। साथ ही उन्होंने कहा कि वर्तमान में दाल व्यापारी एवं इंडस्ट्रीज विभिन्न विभागों में तरह-तरह की जानकारियां दे रही हैं। व्यापारियों को पहले से ही प्रत्येक 10 दिन में (माह में तीन बार) जीएसटी रिटर्न प्रस्तुत करना।
कृषि मंडी समितियों के कई नियमों का पालन करने में ही व्यापारियों का काफी समय बीत जाता है। ऐसे में सरकार द्वारा प्रति सप्ताह खाद्य विभाग में स्टॉक का लेखा प्रस्तुत करना व्यापारियों के लिए न्यायसंगत नहीं है। जबकि, इस कारोबार का लेखा-जोखा मंडी समिति के गेटपास 9आर के साथ जीएसटी रिटर्न में व्यापारियों द्वारा उपलब्ध कराया जाता है।