व्यक्ति के गुणों पर निर्भर करता है उसका व्यक्तित्व: दिव्य मोरारी बापू

राजस्‍थान/पुष्‍कर। परम पूज्‍य संत श्री दिव्‍य मोरारी बापू ने कहा कि हर व्यक्ति अपने व्यक्तित्व का धनी है। व्यक्ति का व्यक्तित्व उसके गुणों पर निर्भर करता है। शारीरिक सुन्दरता से व्यक्ति का व्यक्तित्व मोहक अथवा आकर्षक नहीं होता। सुन्दरता के साथ-साथ भाषा में मधुरता, स्वभाव में सरलता, व्यवहार में नम्रता, बुद्धि में विवेक व सभी के साथ मिलनसार प्रवृत्ति आदि से ही व्यक्ति का व्यक्तित्व निखरता है। हम में से प्रत्येक की इच्छा होती है कि परिवार व समाज में सभी से हमें स्नेह व आदर मिले, लोग हमें पसंद करें व हमारी कद्र हो। साथ ही यह भी अपने आप से पूछना होगा कि हम इसके लिये कितने उपयुक्त हैं, क्या हमारे में व्यवहार कुशलता व परोपकार की प्रवृत्ति है, क्या हम न्याय का अनुसरण करते हैं, क्या हम अपनी सुख-सुविधाओं के साथ-साथ दूसरों की सुख सुविधा का भी ध्यान रखते हैं, जिस सम्मान व इज्जत कि हम अपेक्षा करते हैं, वही इज्जत व सम्मान क्या हम दूसरों का करते हैं, यदि हां तो यह निर्विवाद सत्य है कि जितना स्नेह व आदर हम दूसरों का करते हैं, दूसरे उतना ही स्नेह व आदर हमारा भी करते हैं।

जो वैज्ञानिक तथ्य है, क्योंकि हर क्रिया की प्रतिक्रिया यथावत होती है। अतः जिस वक्त आपके मन में जिस किसी के प्रति स्नेह व सद्भाव रहा होगा, उस वक्त उनके मन की भी यही स्थिति होगी। हम अपने मन के मालिक हैं। मन ही जीवन की सीढ़ी है। सीढ़ी के ऊपर ही चढ़ा जा सकता है व नीचे भी उतरा जा सकता है, जिसका निर्णय अपने व्यवहार व आचरण पर निर्भर रहता है। अपना व्यक्तित्व बनाना अपने हाथ में है। यदि व्यक्तित्व गुण सम्पन्न व आकर्षक होगा, तो सभी हमारे अनुकूल होंगे जो हम चाहते हैं। यही लोकप्रियता का मापदंड है। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं नवनिर्माणाधीन गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना-श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)

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