लखनऊ। देश भर में म्यूकरमाइकोसिस (ब्लैक फंगस) होने के कारणों की पड़ताल शुरू हो गई है। इसके लिए इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने 13 सेंटर बनाए हैं। उत्तर प्रदेश की जिम्मेदारी केजीएमयू को दी गई है। वहां चिकित्सा अधीक्षक डॉ. डी हिमांशु और माइक्रोबायोलॉजी विभाग के प्रो. प्रशांत गुप्ता मुख्य अनुसंधानकर्ता हैं। इनके अलावा ब्लैक फंगस के इलाज में लगे नेत्र रोग विभाग, न्यूरो सर्जरी, ईएनटी के प्रोफेसर भी अध्ययन में सहयोग करेंगे। कोविड वायरस को मात देने वाले मरीजों में ब्लैक फंगस ने कहर बरपाया है। सिर्फ यूपी में ही इसके एक हजार से अधिक मरीज मिल चुके हैं। इनमें से 492 मरीज केजीएमयू में भर्ती हो चुके हैं। जबकि देश भर में इसके अब तक कई हजार मरीज मिल चुके हैं। इसलिए आईसीएमआर ने अलग-अलग इलाकों में ब्लैक फंगस फैलने के कारणों की पड़ताल शुरू कराया है। इसके जरिए यह पता लगाया जाएगा कि किन मरीजों में ब्लैक फंगस का प्रभाव अधिक रहा है। इसके आंकड़ों के विश्लेषण के आधार पर भविष्य में नई दवाएं और मरीजों के इलाज के लिए सर्जिकल मैनेजमेंट समेत अन्य रणनीति बनाई जाएगी। सूत्रों का कहना है कि अध्ययन में यह भी देखा जाएगा कि कितने मरीजों में ब्लैक फंगस की वजह भाप और अन्य साधनों से चिकित्सीय ऑक्सीजन लेना रहा। इसी तरह वेंटिलेटर वाले मरीजों, पहले से मधुमेह से ग्रसित और स्टेराएड देने के बाद शूगर बढ़ने की स्थिति वाले मरीजों में भी ब्लैक फंगस के प्रभाव का आकलन किया जाएगा। इसके अतिरिक्त यह भी देखा जाएगा कि किन मरीजों पर ब्लैक फंगस से जुड़ी दवाओं और एंटीबायोटिक्स का कितना असर हुआ।