श्रीराम कथा का एक-एक श्लोक है पाप नाशक: दिव्य मोरारी बापू

राजस्थान/पुष्कर। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि जीवन में यदि समता है तो समझो आप शरीर से भी स्वस्थ हैं, मन से भी स्वस्थ हैं। जीवन में समता नहीं तो आप न शरीर से स्वस्थ होंगे और न ही मन से। समता का विकास इतना जरूरी है कि आने वाली प्रत्येक परिस्थिति को आप झेल सकें। आज वैज्ञानिकों ने अनुसंधान कर यह सिद्ध किया है कि हृदय रोग व कैंसर जैसे असाध्य रोगों से काफी जनता पीड़ित है, उसके विभिन्न कारणों में कुछ कारण है मानसिक व भावनात्मक असंतुलन। आज की पीढ़ी में क्रोध, प्रतिक्रिया, प्रतिस्पर्धा और असहिष्णुता का ऐसा दौर बढ़ रहा है कि वे छोटी-छोटी बातों की मन में गांठ बांध लेते हैं। ये गांठे ही आगे जाकर कैंसर जैसी असाध्य बीमारियों की सर्जक हैं। इन असाध्य रोगों से मुक्त होने के लिये मन को सरल व सहज बनाना होगा। क्षमा करना व क्षमा मांग लेना सीखना होगा। छोटी-छोटी बातों की गांठे बांधनी छोड़नी होगी। रात में ग्यारह बजे के बाद का समय राक्षस-काल माना जाता है इस निषेध-काल में भोजन नहीं करना चाहिये। रात में ग्यारह से साढ़े तीन तक का काल निषिद्ध काल है। इसमें स्नान और भोजन नहीं करना चाहिये। रात्रि में सोने से पूर्व एवं सुबह बिस्तर से उठने के पहले प्रभु के नाम का स्मरण करो। उत्तम विचारों की धारणा करो। रात्रि में सोने से पूर्व सदैव प्रेम पूर्वक ईष्ट के नाम का जप करो। श्रीराम कथा का एक-एक श्लोक पाप नाशक है। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं नवनिर्माणाधीन गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना-श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।

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