लखनऊ। सीबीएसई की 10वीं और 12वीं बोर्ड परीक्षा की नई परीक्षा प्रणाली को शहर के स्कूलों ने दूरदर्शी कदम करार दिया है। स्कूलों ने बताया कि नई परीक्षा प्रणाली लागू होने से छात्रों को अंत समय तक पढ़ाई करनी होगी। अब रट्टा मारकर पास होने की प्रवृत्ति खत्म होगी। वहीं, शिक्षकों को भी ईमानदारी से पढ़ाना होगा। शिक्षकों की माने तो बिना परीक्षा के प्रमोट होने और ऑनलाइन कक्षाओं से छात्रों में पढ़ाई के प्रति खत्म होती गंभीरता में नई परीक्षा प्रणाली संजीवनी का काम करेगी। अब छात्रों को पूरे साल पढ़ाई करनी होगी। उसके मन में फेल होने का डर रहेगा तो वह जरूर पढ़ेगा। नई परीक्षा प्रणाली में नए तरीके अपनाए गए हैं। छात्रों को परीक्षा देना भी दिलचस्प लगेगा। वहीं साल भर की पढ़ाई का महज तीन घंटे में आकलन करने की मूल्यांकन प्रणाली से भी छुटकारा मिलेगा। डीपीएस गोमतीनगर के प्रिंसिपल रूपम सलूजा बदलाव पर कहती हैं, बहुत सूझबूझ के साथ बोर्ड ने नई परीक्षा प्रणाली तैयार की है। पिछले साल ही इसे लागू कर दिया गया होता तो वर्तमान में परीक्षा परिणाम जारी करने की जिस तरह की कवायद चल रही है वह नहीं करनी पड़ती। नई परीक्षा प्रणाली में जो बच्चे आधे साल के बाद या अंत में पढ़ते थे, वे अब शुरुआत से ही पढ़ेंगे। ऑनलाइन पद्धति में इसकी विश्वसनीयता पर सवाल उठ सकते हैं। वरदान इंटरनेशनल एकेडमी की प्रिंसिपल ऋचा खन्ना का मानना है कि परिस्थितियों को देखते हुए बोर्ड ने बहुत ही सटीक प्रणाली लागू की है। अगले साल यदि बोर्ड परीक्षा के दौरान फिर कोई विपरीत परिस्थिति बनी तो परफॉर्मेंस का मूल्यांकन करना आसान होगा। इससे हमें एक छात्र की पूरे साल की असेसमेंट करने में सुविधा होगी। यही नहीं अब छात्र भी पढ़ाई को गंभीरता से लेंगे और साल भर मेहनत करेंगे। जीडी गोयंका पब्लिक स्कूल के चेयरमैन सर्वेश गोयल का मानना है कि स्कूल व छात्र दोनों के लिए यह नई परीक्षा प्रणाली अच्छी है। छात्रों को पूरा कोर्स पढ़ना होगा। अंत समय की तैयारी से अब काम नहीं चलेगा। वहीं जो स्कूल इस परिपाटी पर चलते थे कि बाद में छात्रों की तैयारी करा लेंगे, अब उन्हें भी पूरे साल पढ़ाई करानी होगी। छात्रों का परफॉर्मेंस तो अच्छा होगा ही दूसरी तरफ दो बार परीक्षा कराने के लिए स्कूलों को थोड़ी ज्यादा मेहनत करनी होगी। एक नया स्टैंडर्ड सेट होगा।