विधायकों का भविष्य तय करेगा ब्लॉक प्रमुख का चुनाव

प्रयागराज में ब्लॉक प्रमुख चुनाव के नतीजे भारतीय जनता पार्टी के हिसाब से उतने उत्साहजनक नहीं रहे, जिसकी पार्टी ने उम्मीद लगा रखी थी। इस चुनाव के प्रबंधन के लिए पार्टी ने अपने वर्तमान और कुछ पूर्व विधायकों को लगा रखा था। सभी को उम्मीद थी कि पार्टी कम से कम 16-17 ब्लॉकों को आसानी से जीत लेगी, लेकिन सपा ने पार्टी नेताओं की उम्मीदों पर पानी फेर दिया। उम्मीद के मुताबिक परिणाम न आने से पार्टी के कुछ विधायकों के सामने विधानसभा 2022 में टिकट न मिलने का खतरा हो गया है। ब्लॉक प्रमुख चुनाव के नामांकन के पूर्व ही पार्टी ने अपने वर्तमान और पूर्व विधायकों को अलग-अलग ब्लॉक की जिम्मेदारी दे रखी थी। विधायकों को ही ब्लॉक प्रमुख चुनाव का प्रबंधन देना था। यमुनापार की ही बात करें तो यहां चाका ब्लॉक की जिम्मेदारी पीयूष रंजन निषाद को दी गई थी। इसी तरह करछना और कौंधियारा की पूर्व विधायक दीपक पटेल को, मेजा और कोरांव की विधायक राजमणि कोल, मांडा, उरुवा की नीलम करवरिया, जसरा और शंकरगढ़ की डॉ. अजय कुमार को सौंपी गई थी। इसी तरह गंगापार में भी विधायकों और अन्य नेताओं को जिम्मेदारी अलग-अलग ब्लॉकों की सौंपी गई। शनिवार को हुए मतदान के बाद जब रिजल्ट आया तो पार्टी को यमुनापार की नौ में से सिर्फ तीन सीटों पर ही विजय मिली। इसी तरह गंगापार में होलागढ़, फूलपुर, बहादुरपुर, सहसों, सोरांव में पार्टी को जीत मिली, जबकि एक दिन पूर्व प्रतापपुर में पार्टी का प्रत्याशी निर्विरोध निर्वाचित हुआ। सैदाबाद सीट भाजपा के सहयोगी अपना दल के खाते में आई। भगवतपुर भी भाजपा ने जीती। इस तरह से पार्टी ने कुल 11 सीटों पर जीत हासिल की। हालांकि पार्टी के गंगापार अध्यक्ष अश्वनी दुबे का दावा है कि हंडिया सीट जीतने वाला निर्दलीय प्रत्याशी भी भाजपा का ही है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि किसी भी विधायक, पूर्व विधायक और अन्य वरिष्ठ नेताओं का आशा के अनुरूप प्रदर्शन न होने का असर अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव में उनकी दावेदारी पर पड़ सकता है।

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