राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत घर-घर जाकर खिलाई जाएगी दवा

लखनऊ। राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत प्रदेश के 12 जिलों में सोमवार से मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन कार्यक्रम शुरू हो गया। इसके तहत हाथीपांव (फीलपांव) बीमारी से बचाव के लिए डीईसी, बच्चों के पेट के कीड़े मारने की एल्बेंडाजॉल और आइवरमेक्टिन दवा खिलाई जाएगी। स्वास्थ्यकर्मी घर-घर जाकर अपने सामने ये दवा खिलाएंगे। दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और अति गंभीर बीमार व्यक्तियों को यह दवाएं नहीं दी जाएंगी। अपर निदेशक मलेरिया डॉ. बिंदु प्रकाश ने बताया कि वाराणसी, चंदौली, मिर्जापुर, कानपुर देहात, प्रयागराज, प्रतापगढ़, कानपुर नगर, हरदोई, सीतापुर, फतेहपुर, लखीमपुर खीरी और उन्नाव में यह अभियान चलेगा। कोविड-19 के मानकों को ध्यान में रखते हुए मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन कार्यक्रम चलेगा। उन्होंने बताया कि यह दवा हर किसीको दी नहीं जाएगी। लाभार्थी को स्वास्थ्यकर्मी की मौजूदगी में ही दवा खानी होगी। यह भी ध्यान रखना है कि दवा खाली पेट नहीं खानी है। उन्होंने बताया कि सामान्य लोगों को इन दवाओं के खाने से दुष्प्रभाव नहीं होते हैं। अगर किसी को दवा खाने के बाद उल्टी, चक्कर, खुजली या जी मिचलाने जैसे लक्षण होते हैं तो यह इस बात का प्रतीक हैं कि उस व्यक्ति के शरीर में फाइलेरिया के कृमि माइक्रोफाइलेरिया मौजूद हैं। दवा खाने के बाद माइक्रोफाइलेरिया के नष्ट होने से ऐसे लक्षण पैदा होते हैं। डॉ. सिंह ने बताया कि हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, अर्थराइटिस या अन्य सामान्य रोगों से ग्रसित व्यक्तियों को भी ये दवाएं खानी हैं। उन्होंने बताया कि वर्ष 2020-21 के आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में हाइड्रोसील के 28,427 मरीज और लिम्फेडेमा के 87,175 मरीज हैं। फाइलेरिया अभियान शुरू होने से कवरेज दर 75 प्रतिशत से अधिक हो गई है। अगर यह दर 90 प्रतिशत से अधिक हो जाए तो फाइलेरिया का उन्मूलन पूरी तरह से होने में सहायता मिलेगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *