राजस्थान/पुष्कर। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि राजनीति और धर्म को आप अलग नहीं कर सकते। राजनीति खराब नहीं है। राजनीति तो जीवन का एक अनिवार्य अंग है। राजनीति में तो धर्म होना चाहिये लेकिन धर्म में राजनीति नहीं होनी चाहिये। आज समस्याएं क्यों पैदा हुई हैं, धर्म में राजनीति घुशी है, इसके कारण राजनीति में धर्म और धर्म सत्ता का प्रभाव बढ़ना चाहिए। प्राचीन भारत में ऋषि और ब्राह्मणों के चिंतन का ज्ञान, राजाओं का प्रेरक बल बनता था। बिना ज्ञान के बल क्या करेगा, लेकिन इस व्यवस्था को तोड़ा गया। पहले विदेशी शासकों ने तोड़ा और बाद में, स्वाधीनता के बाद हमारे संकुचित मन वाले लोगों ने इस व्यवस्था को तोड़ा। धर्म रहित शासन व्यवस्था सफल नहीं हो सकती। आजकल धर्म और राजनीति को अलग करने की चर्चाएं चल पड़ी हैं। अरे! अलग ही करना है तो राजनीति से और कोई बुराई हो उसको अलग करो। धर्मरहित राजनीति, धर्मरहित शासन व्यवस्था सफल नहीं हो सकती। वासना और भोगों की वृद्धि से संसार विषतुल्य हो जाता है। वासना का नाश एवं आसक्ति का त्याग करो। वासना किसी को आगे नहीं बढ़ने देती। वासना के आधीन हुए मनुष्य को विलासी जीवन पसंद होता है। जो विलासी जीवन बिताता है, उसे ईश्वर के स्वरूप का बोध नहीं होता। वह कभी ईश्वर को पहचान नहीं सकता। मनुष्य में एक-एक इन्द्रिय के विषय-भोग की लालसा बढ़ती है। घृणा भी होती है, किंतु वह टिकती नहीं। विषयों के आनन्द परिणाम में बहुत दुःखदाई होते हैं। वासना के अनुसार ही जीव का शरीर बदलता है। वासना को उच्चतम बनाओ। सत्संग से वासना उच्चतम बनती है। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं नवनिर्माणाधीन गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना- श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)