वाराणसी। सृष्टि के पालक भगवान विष्णु 20 जुलाई से योगनिद्रा में रहेंगे। देवशयनी एकादशी के साथ ही चातुर्मास भी आरंभ हो जाएंगे। इसके कारण चार महीने तक शादी, गृह प्रवेश और अन्य मांगलिक काम नहीं किए जाएंगे। हालांकि इन दिनों में खरीदारी, लेन-देन, निवेश, नौकरी और बिजनेस जैसे नए कामों की शुरुआत के लिए शुभ मुहूर्त रहेंगे। इस साल भगवान विष्णु 118 दिन योग निद्रा में रहेंगे। इस दौरान संत और आम लोग धर्म-कर्म, पूजा-पाठ और आराधना में समय बिताएंगे। ज्योतिषाचार्य पं. गणेश मिश्र ने बताया कि चातुर्मास की शुरुआत हिंदू कैलेंडर के आषाढ़ माह से होती है। चातुर्मास आषाढ़ महीने के शुक्लपक्ष की एकादशी यानी इस बार मंगलवार 20 जुलाई से शुरू होकर कार्तिक शुक्ल एकादशी तक चलेगा। जो कि 15 नवंबर को है। यानी इसकी अवधि 4 महीने की होगी। ज्योतिषीय गणना के अनुसार पिछले साल अधिकमास होने से भगवान विष्णु ने 148 दिन क्षीरसागर में आराम किया था। इस बार वे 20 जुलाई से 14 नवंबर तक योग निद्रा की अवस्था में रहेंगे। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस अवधि में सृष्टि को संभालने और कामकाज संचालन का जिम्मा भगवान भोलेनाथ के पास रहेगा। इस दौरान धार्मिक अनुष्ठान किए जा सकेंगे पर विवाह समेत मांगलिक काम नहीं होंगे। काशी विद्वत परिषद के महामंत्री प्रो. रामनारायण द्विवेदी ने बताया कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखें तो इन दिनों बारिश होने से हवा में नमी बढ़ जाती है। इस दौरान बैक्टीरिया और वायरस का प्रकोप होता है। इस कारण संक्रामक रोगों के फैलने का खतरा अधिक रहता है। इससे बचने के लिए संतुलित खान-पान का सेवन करना चाहिए। ज्योतिषाचार्य विमल जैन ने बताया कि इन चार महीनों के दौरान विवाह, यज्ञोपवीत, मुंडन कार्य निषेध हो जाएंगे। इसके अलावा नूतन गृहप्रवेश, विशिष्ट यज्ञ का आरंभ भी निषेध है। हालांकि नित्य पूजन-अर्चन का कार्य विधानानुसार किया जाएगा। यह चार माह स्वाध्याय, मनन, चिंतन और आत्मावलोकन का समय है।