राजस्थान/पुष्कर। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि पूरे संसार की समस्याओं का एक मूल कारण है, वह है इच्छा हम करते हैं और उसकी क्रिया दूसरों से करवाना चाहते हैं। मन तुम्हारा, तन उसका, वह तो हिंसा है, अपराध है। यह नहीं हो सकता। सब व्यक्तियों के जीवन में संघर्ष का मूल बीज वहीं से अंकुरित होता है। समाज छोड़ दीजिये, घर में पांच-सात व्यक्ति हों, जिनमें तुम्हे क्या करते हो और सोचते हो, यह व्यक्ति ऐसा करे। इच्छा तुम्हारी और क्रिया उसकी। हां कोई वात्सल्य से, आदर से कबूल कर ले, बात ठीक है। तो भी तुमने बड़प्पन के अहंकार की सृष्टि हो जाती है।
तुमने अपनी मानसिक स्थिति को निम्न कर लिया। अगर वह ऐसा नहीं करते तो क्रोध पैदा हो जाता है और इसी क्रोध के कारण फिर तुम्हारी स्मृति खो जाती है। तुम्हारी बुद्धि का नाश और तुम्हारा पतन हो जाता है। सत्संग करते हो तो यह सीख लो, परिवार में छोटी बड़ी घटनाएं बनती ही रहेंगी। परिवार के जो सदस्य हैं ,उनका जैसा अधिकार हो वैसे उनको रखना सीख लो। तुम्हारी इच्छा, क्रिया दूसरे करें इसी बेसमझी ने तुम्हारे संसार को बिगाड़ा है। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं नवनिर्माणाधीन गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना- श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।