गोरखपुर। उत्तर प्रदेश पर्यटन के नक्शे पर गोरखपुर जल्द नजर आएगा। पर्यटन विभाग की वेबसाइट पर जल्द ही गोरखपुर भी शोकेस होगा। शहर के ऐतिहासिक, धार्मिक, सांस्कृतिक और स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े स्थलों के चित्रों सहित जानकारी इस वेबसाइट पर उपलब्ध होगी। प्रदेश के पर्यटन मानचित्र पर स्थान मिलने से ऐतिहासिक धरोहरों से पूर्ण इस शहर में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों का आवागमन बढ़ेगा। अपने आप में नाथ संप्रदाय का प्रमुख श्रद्धास्थल गोरखनाथ मंदिर, सूफी संत हजरत रौशन अली शाह की मजार-इमामबाड़ा प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों को समेटे गोरखपुर को उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग की वेबसाइट पर जगह नहीं मिली है स्वतंत्रता संग्राम की यादें संजोए चौरी चौरा का थाना, डोम राजा का किला जैसे ऐतिहासिक स्थल, कुसुम्ही जंगल, जैसे पर्यावरण पर्यटन क्षेत्र, रामगढ़ ताल, चिलुआ ताल जैसे वाटर स्पोर्ट्स और जल पर्यटन जैसे स्थल इस जिले की पहचान अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बनाते हैं। विश्व प्रसिद्ध गीता प्रेस, गीता वाटिका भी इसी शहर में हैं। जिले में नाथ संप्रदाय के संस्थापक गुरु गोरक्षनाथ का भव्य मंदिर है। सूफी संत हजरत रौशन अली शाह की दरगाह है। विश्व प्रसिद्ध सोने-चांदी का ताजिया मियां साहब के इमाम बाड़े में है। सिर्फ गुरु गोरक्षनाथ मंदिर में लगने वाले मेले में प्रतिवर्ष एक लाख से अधिक देशी-विदेशी आस्थावान पहुंचते हैं। नागरिकों में देश प्रेम की ज्वाला पैदा करने वाले स्वतंत्रता सेनानी अशफाक उल्ला खां, राम प्रसाद बिस्मिल के शहादत स्थल होने के बावजूद इस जिले को प्रदेश के पर्यटन मानचित्र पर उचित स्थान नहीं मिल सका है। फिराक गोरखपुरी और कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद की कर्मस्थली होने की वजह से उनसे जुड़ी तमाम यादें हैं। क्रांतिकारी रामप्रसाद बिस्मिल से जुड़ी यादें और स्मारक है। इसके बावजूद पर्यटन विभाग की वेबसाइट में इन सबका जिक्र न होना आश्चर्य में डालता है। शहर के संभ्रांत नागरिकों, बौद्धिक समाज ने इस पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए जिले को पर्यटन मानचित्र पर उचित स्थान दिलाने की मांग की थी। क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी रवींद्र कुमार मिश्रा ने बताया कि जिले को प्रदेश के पर्यटन मानचित्र पर जल्द ही जगह मिलेगी।