आगरा। सावन के महीने में अपने एंटी पोचिंग अभियान को जारी रखते हुए टीम वाइल्डलाइफ एसओएस और उत्तर प्रदेश वन विभाग ने 23 सांपों को जब्त किया। सपेरे इनका उपयोग नाग पंचमी पर कर रहे थे। सपेरे भक्तों की आस्था का फायदा उठाने के लिए सांपों से भरी टोकरियों और बीन (बांसुरी) के साथ शहर भर में घुमते हैं। सपेरों द्वारा सांपों को प्रदर्शन के लिए इस्तेमाल किया जाना, एक पैसे कमाने वाले व्यवसाय में बदल गया है। जहां हर साल हजारों सांपों को जंगल से पकड़ कर बेरहमी से उनके दांत तोड़ दिए जाते हैं और फिर त्योहार से पहले महीनों तक भूखा रखा जाता है। भगवान शिव के भक्त नाग पंचमी पर सांपों की पूजा करते हैं और उन्हें दूध चढ़ाते हैं। वास्तव में सांप दूध नहीं पीते लेकिन महीनों तक प्यासे रहने की वजह से वे उपलब्ध किसी भी तरल को पी सकते हैं। इस वजह से यह लोगों के बीच एक धारणा बन चुकी है की त्योहारों पर सांप दूध पीते हैं। शहर भर में इस क्रूर प्रथा की रोकथाम लिए वाइल्डलाइफ एसओएस और उत्तर प्रदेश वन विभाग ने शुक्रवार को आगरा में एक और एंटी पोचिंग अभियान चलाया। शहरभर में इन सपेरों से कुल मिलाकर 23 सांप, जिनमें 17 कोबरा, 3 रैट स्नेक, 2 कॉमन सैंड बोआ और एक ब्लैक-हेडेड रॉयल स्नेक को मुक्त कराया। कोबरा सांपों के दांत टूटे हुए पाए गए और सपेरों द्वारा उनकी विष ग्रंथियों को भी बेरहमी से निकाल दिया गया था। मुक्त कराए सांपों में एक रैट स्नेक ऐसा भी मिला जिसका मुंह इन सपेरों द्वारा सिल दिया था, जिससे पकड़ने के दौरान वह काट ना सके। वाइल्डलाइफ एसओएस के पशु चिकित्सकों ने रैट स्नेक के मुंह से टांके हटा दिए हैं और सभी सांपों को पीने के लिए पानी दिया गया क्योंकि वे निर्जलित और भूखे थे। वाइल्डलाइफ एसओएस के सह-संस्थापक और सीईओ कार्तिक सत्यनारायण ने जानकारी दी कि इस सावन के महीने में अभी तक 47 सांपों को सपेरों की पकड़ से मुक्त कराया है। वन विभाग के अधिकारी अखिलेश पांडेय ने बताया कि हर साल सावन के महीने के दौरान सपेरों से सांपों को मुक्त कराने के लिए वन विभाग और वाइल्डलाइफ एसओएस साथ मिल कर यह अभियान चलाते हैं। यह जानवरों के प्रति क्रूरता का कार्य है और संरक्षित वन्यजीव प्रजातियों के अवैध कब्जे को बढ़ावा देता है। बैजूराज एम.वी, डायरेक्टर कंजरवेशन प्रोजेक्ट्स, वाइल्डलाइफ एसओएस, ने कहा कि लोगों से अनुरोध करते हैं कि वे सपेरों द्वारा की जा रही ऐसी कोई भी गैरकानूनी गतिविधि की सूचना तुरंत वाइल्डलाइफ एसओएस या उत्तर प्रदेश वन विभाग के हेल्पलाइन नंबर पर दें।