राजस्थान/पुष्कर। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि किश्ती को डुबा दे उसे तूफान कहते हैं। तूफानों से जो टक्कर ले उसे इंसान कहते हैं। इंसान वही है जो संघर्षशील रहता है। घबराता नहीं है, आने वाली विषम परिस्थितियों में अपना संतुलन नहीं खोता। उसे पता है यह भी नहीं रहेगी, सर्दी नहीं रही, गर्मी नहीं रही, वर्षा नहीं रही, मां-बाप नहीं रहे, दादा-दादी नहीं रहे, तब ये विपत्ति कब तक रहेगी।
यह भी जाने के लिए आयी हुई है, चली जाएगी। विपत्ति बिना बुलाये आती है और जब समय पूरा होता है तो चली जाती है। इसीलिए ब्रह्म पुराण में भगवान व्यास कहते हैं कि जो व्यक्ति किसी भी परिस्थिति में अपना संतुलन नहीं खोता- सो- अमृतत्वाय कल्पते, वही मोक्ष का भागीदार बनता है। वही ईश्वर को प्राप्त करने का अधिकारी बनता है। क्योंकि विपरीत परिस्थिति में चिंता करोगे- तो भजन छूटेगा। अनुकूल परिस्थिति आ गई, तो सुख पाने में रहोगे तो भी भजन छूटेगा। हमारा संकट निकाल दो फिर भजन करेंगे, वो कुछ कर ही नहीं सकता, जो हर परिस्थिति में भजन करने को तैयार है वही करेगा। प्रभु विकट से विकट परिस्थिति आ जाय पर मेरा भजन न छूटने पाये, वो हमेशा ही धुन में रहता है। एक 42 व्यक्ति की मृत्यु हुई, वो शिष्य था। थोड़े दिन बाद जाना हुआ तो उसके घर गया, सबके आंख में आंसू थे, थोड़ी देर बाद उसकी मां भजन गाने लगी है और भजन का भाव यही था, हे परमात्मा चाहे जैसी परिस्थिति आवे- श्रद्धा विश्वास न छूटे और तेरा भजन न छूटे। सारे लोग रो पड़े उस भजन को सुनकर। साधक का हमेशा लक्ष्य ईश्वर है। वो हर समय इसी का ध्यान रखता है कि मेरा भजन तो नहीं छूट रहा है। जैसे किसी स्त्री को बारह वर्ष बाद सन्तान की प्राप्ति होगी ऐसा सुयोग बना। चिकित्सक सलाह दें रेस्ट का ख्याल रखो, खतरा है वह महिला जैसे सावधान रहती है। ये स्वर्णिम अवसर आया है कहीं हाथ से चला न जाय वैसे उच्च-कोटि के साधक का लक्ष्य भजन है। वे सोचते हैं कितनी योनियों के बाद कल्याण का साधन करने के लिए मनुष्य शरीर मिला है,कहीं ये स्वर्णिम अवसर हाथ से न निकल जाय। ऐसी कोई परिस्थिति न आवे कि भजन छूट जाय। परिस्थिति जो हो परमात्मा का भजन न छूटे, छोटीकाशी बूंदी की पावन भूमि, श्री सुदामा सेवा संस्थान (वृद्धाश्रम) का पावन स्थल, पूज्य महाराज श्री-श्री घनश्याम दास जी महाराज के पावन सानिध्य में-चातुर्मास के पावन अवसर पर चल रहे सत्संग में ब्रह्मा महापुराण कथा के तृतीय दिवस पृथु राजा की कथा का वर्णन किया गया। कल की कथा में सूर्यवंश और चंद्रवंश की कथा का वर्णन किया जायेगा।