लखनऊ। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि के तौर पर संबोधित करते हुए राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि देश व प्रदेश को सशक्त, सक्षम एवं समृद्ध बनाने के लिए महिलाओं, बालिकाओं एवं बच्चों के स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान दिये जाने की आवश्यकता है। राष्ट्रीय पोषण माह के दौरान विभिन्न कार्यक्रमों के प्रभावी संचालन के लिए अन्तर्विभागीय समन्वय पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि महिलाओं एवं बच्चों में कुपोषण दूर करने सम्बन्धी कार्यक्रमों के परिणामों का अध्ययन कराकर उन्हें और बेहतर बनाया जा सकता है। कुपोषण से छुटकारा दिलाने में जनसहभागिता की उपयोगी भूमिका है। उन्होंने सुझाव दिया कि गांव में आंगनबाड़ी कार्यकत्रियां एक-एक कुपोषित बच्चे को गोद ले सकती हैं। यही काम अधिकारी भी कर सकते हैं। इससे बड़ा परिवर्तन आएगा। उन्होंने कहा कि अभियान में मुख्यमंत्री के साथ अधिकारियों को भी जुटना होगा। उन्होंने अधिकारियों से सरकार के साथ मिलकर पूरी ताकत से काम करने और प्रत्येक गांव को कोरोना से मुक्त, कुपोषण से मुक्त बनाने का संकल्प लेने को कहा। उन्होंने अपने फर्रूखाबाद दौरे के साथ ही गोशालाओं से जुड़ी महिलाओं और उससे जनता को मिल रहे लाभ की भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि नए ग्राम प्रधानों को इस बात के लिए प्रेरित करने की जरूरत है कि वह अपने गांव को कुपोषण और कोरोना मुक्त बनाएं। उन्होंने कहा कि अधिकारी जब तक जिलों और ब्लाकों में प्रवास नहीं करेंगे। वहां की आंगनबाड़ी में औचक निरीक्षण नहीं करेंगे तब तक परिणाम सामने नहीं आएगा।