नई दिल्ली। अंतरिक्ष के क्षेत्र में किए गए सुधारों और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के नियमों में ढील से अब भारतीय व विदेशी कंपनियों के बीच दीर्घकालीन परस्पर लाभकारी संबंध बनेंगे। फिलहाल इसरो की सुविधाओं के इस्तेमाल के लिए 40 से ज्यादा कंपनियों के आवेदन मिले हैं, इनमें से ज्यादातर स्टार्टअप कंपनियां हैं। आवेदनों का आकलन किया जा रहा है। आने वाले समय में विदेशी अंतरिक्ष कंपनियों के भारत में निवेश करने के बड़े अवसर मिलेंगे, जिससे अंतरिक्ष क्षेत्र में विदेशी और भारतीय कंपनियों के बीच गठजोड़ की अपार संभावनाएं खुलेंगी। यह बात इसरो के अध्यक्ष व अंतरिक्ष विभाग के सचिव के सिवन ने भारतीय उद्योग परिसंघ (कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री) की ओर से आयोजित अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष सम्मेलन में कही। उन्होंने कहा कि काफी कंपनियों ने भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र में गहरी दिलचस्पी दिखाई है। अंतरिक्ष में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की नीतियों को संशोधित किया जा रहा है। आने वाले दिनों में इसरो शोध, अनुसंधान व तकनीक विकास पर ध्यान केंद्रित करेगा, ताकि बदलते दौर के लिहाज से तकनीकी पिछड़ेपन को ज्यादा जिम्मेदारी के साथ कम से कम समय में खत्म किया जा सके। इसरो की विशेषज्ञता और सुविधाओं का इस्तेमाल निजी क्षेत्र के साथ किया जाएगा, ताकि जरूरत के मुताबिक नकदी और निवेश में इजाफा किया जा सके। उन्होंने बताया कि पिछले सप्ताह ही अंतरिक्ष विभाग ने स्काईरूट एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसके तहत कंपनी को इसरो की विभिन्न प्रयोगशालाओं और विशेषज्ञताओं के इस्तेमाल की सुविधा मिलेग। इससे कंपनी अपने लॉन्च व्हीकल प्रणालियों की जांच कर सकेगी। इस तरह के कई समझौते आने वाले दिनों में होने वाले हैं। सुधारों के बाद से निजी क्षेत्र के लोगों को उन भवनों में जाने की इजाजत दी गई है, जहां रॉकेट बनाए जाते हैं या फिर जहां से लॉन्च सर्विस का संचालन किया जाता है। केंद्र सरकार ने अंतरिक्ष विभाग के अधीन इंडियन नेशनल स्पेस प्रमोशन एंड ऑथराइजेशन सेंटर (इन-स्पेस) का गठन किया है। यह निकाय निजी क्षेत्र की अंतरिक्ष गतिविधियों के को मंजूरी देगा व उनका नियमन करेगा। इन-स्पेस इसरो व निजी क्षेत्र के बीच एक पुल का काम करेगा, जिससे भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र के संसाधनों का अधिकतम उपयोग होगा व भारत में अंतरिक्ष क्षेत्र की गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा। इसरो के वैज्ञानिक सचिव व इन-स्पेस के प्रभारी आर उमामहेश्वरन ने बताया कि अंतरिक्ष गतिविधि विधेयक का मसौदा तैयार कर लिया गया है। कई विभागों में इसकी समीक्षा चल रही है। अंतर-मंत्रालयी सलाह-मशविरे के बाद इसे संसद में रखा जाएगा। इसके साथ ही सैटकॉम (सैटेलाइट कम्युनिकेशन) व दूर संवेदन (रिमोट सेंसिंग) से संबंधित नीति भी लगभग तैयार है, जिससे भारत के अंतरिक्ष उद्योग को अंतरिक्ष अनुप्रयोग (स्पेस एप्लिकेशन) के क्षेत्र की मांग को पूरा करने के अधिक अवसर मिलेंगे। इसके अलावा इसरो ने अंतरिक्ष परिवहन (स्पेस ट्रांसपोर्टेशन), उपग्रह नौवहन (सैटेलाइट नैविगेशन), अंतरिक्ष मानव तकनीक हस्तांतरण (ह्युमन स्पेस टेक्नोलॉजी ट्रांसफर) की नीतियों के मसौदे तैयार कर लिए हैं।