नई दिल्ली। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि जैसे-जैसे भारत आगे बढ़ेगा और इसकी क्षमताएं बढ़ेंगी, यह स्वाभाविक रूप से दुनिया के लिए और अधिक योगदान देगा और वैश्विक मंच पर फिर से उभरने वाला एक सभ्यतागत राष्ट्र स्पष्ट रूप से अपनी छाप छोड़ेगा। भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद द्वारा आयोजित एक अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार ‘75 का स्वतंत्र भारत, लोकतांत्रिक परंपराएं’ को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि जैसे-जैसे भारत और अधिक लोकतांत्रिक होगा, लोकतंत्र भी अपनी संवेदनशीलता और बनावट दोनों में और अधिक भारतीय बन जाएगा। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि चाहे शौचालय, बिजली और पाइप से पानी मुहैया कराने की बात हो या बैंक खातों के लगभग सार्वभौमिकरण की बात हो, लोकतांत्रिक साधन अब लोकतांत्रिक उद्देश्यों को साकार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मतदान की समानता अनिवार्य रूप से मानवीय गरिमा की समानता के साथ सह-अस्तित्व में होनी चाहिए। एक के बिना दूसरा व्यर्थ है। उस ढांचे में देखा गया है, भारत की उपलब्धियां इसकी लोकतांत्रिक साख को मान्यता प्रदान कर रही हैं। विदेश मंत्री ने कहा कि देश का बाहरी दृष्टिकोण अनिवार्य रूप से इसके आंतरिक मूल्यों के साथ चलता है और केवल यह उम्मीद की जानी चाहिए कि एक राष्ट्र और उसके नागरिक समान विचारधारा वाले लोगों के साथ सहज होंगे। उन्होंने कहा कि यह समान विचारधारा वाले लोगों को वैश्विक मुद्दों पर मिलकर काम करने के लिए प्रोत्साहित करता है।