नई दिल्ली। कोरोना वायरस से लोगों को सुरक्षित रखने के लिए दुनिया की तमाम वैक्सीन निर्माता कंपनियां प्रभावी टीकों को बनाने में लगी हुई हैं। भारतीय वैज्ञानिक भी इस दिशा में तेजी से काम कर रहे हैं। देश में कुछ ऐसी वैक्सीनों के निर्माण का भी चल रहा है, जो इस महामारी को खत्म करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। शनिवार को 76वीं संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में अपने भाषण के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत की वैक्सीन निर्माण के क्षेत्र में बड़ी कामयाबी के बारे में दुनिया को सूचित किया। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत का पहला एमआरएनए वैक्सीन अपने अंतिम चरण में है। इसके अलावा देश के वैज्ञानिकों ने दुनिया का पहला डीएनए वैक्सीन विकसित किया है, जिसे 12 साल से ऊपर की आयु के लोगों को दिया जा सकेगा। कोरोना महामारी से मुकाबले के लिए भारत लगातार तेजी से काम कर रहा है। संयुक्त राष्ट्र महासभा में प्रधानमंत्री ने कोविड-19 से मुकाबले के लिए भारतीय वैज्ञानिकों की सराहना करते हुए भारत की तीन अत्याधुनिक वैक्सीनों का जिक्र किया। संयुक्त राष्ट्र महासभा के संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने पहली स्वदेशी एमआरएनए वैक्सीन, दुनिया की पहली डीएनए आधारित वैक्सीन और नेजल वैक्सीन के बारे में बताया। प्रधानमंत्री मोदी ने जिस एमआरएनए वैक्सीन का जिक्र किया है, उसे पुणे स्थित एमक्योर फार्मास्युटिकल्स की सहायक कंपनी जेनोवा बायोफार्मास्युटिकल्स लिमिटेड द्वारा विकसित किया जा रहा है। वहीं दुनिया का पहली कोविड डीएनए वैक्सीन जाइकोव-डी को जायडस कैडिला द्वारा तैयार किया गया है।