नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के कारण पर्यावरण में नई बीमारियां और महामारी सामने आ रही हैं, जो मनुष्य और पशुओं के स्वास्थ्य के लिए एक बड़ा खतरा है। उन्होंने कहा कि नए कीट, नई बीमारियों से फसलें भी प्रभावित हो रही हैं। इन पहलुओं पर निरंतर गहन अनुसंधान जरूरी है। उन्होंने जलवायु परिवर्तन और कुपोषण की चुनौतियों से निपटने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) द्वारा विकसित विशेष गुणों वाली फसलों की 35 किस्मों का लोकार्पण करते हुए कहा कि जब विज्ञान, सरकार और समाज मिलकर काम करेंगे तो उसके नतीजे और बेहतर आएंगे। किसानों और वैज्ञानिकों का ऐसा गठजोड़, नई चुनौतियों से निपटने में देश की ताकत बढ़ाएगा। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में राष्ट्रीय जैविक स्ट्रेस प्रबंधन संस्थान के नये परिसर का डिजिटल माध्यम से उद्घाटन करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले वर्ष ही कोविड-19 महामारी से लड़ाई के बीच में हमने देखा है कि कैसे टिड्डी दल ने भी अनेक राज्यों में बड़ा हमला कर दिया था तथा भारत ने बहुत प्रयास करके इस हमले को रोका था, और किसानों का ज्यादा नुकसान होने से बचाया था। उन्होंने कहा कि किसानों को प्रौद्योगिकी से जोड़ने के लिए हमने उन्हें बैंकों से मदद की प्रक्रिया को और आसान बनाया है तथा आज किसानों को ज्यादा बेहतर तरीके से मौसम की जानकारी मिल रही है। प्रधानमंत्री मोदी ने इस मौके कृषि विश्वविद्यालयों को ‘ग्रीन कैंपस अवार्ड’ वितरित किए और विभिन्न राज्यों से कार्यक्रम में भाग ले रहे किसानों से बातचीत भी की। कार्यक्रम में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी मौजूद थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि उनकी सरकार ने किसानों को बढ़ावा देने के लिए खरीद प्रक्रिया में सुधार किया, जिसके कारण रबी सीजन के दौरान 430 लाख मीट्रिक टन से अधिक गेहूं की खरीद हुई और किसानों को 85000 करोड़ से अधिक का भुगतान किया गया। पीएम मोदी ने कहा कि कोविड महामारी के दौरान गेहूं खरीद केंद्रों को तीन गुना से अधिक बढ़ाया गया। कृषि भूमि की सुरक्षा के लिए 11 करोड़ मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी किए गए। उन्होंने कहा फसलों के लिए न केवल न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि की गई है, बल्कि सरकार ने किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए खरीद प्रक्रिया में सुधार के प्रयास भी किए हैं।