भारत को अब सेमीकंडक्टर चिप के लिए विदेशों पर नहीं रहना होगा निर्भर

हिमाचल प्रदेश। इलेक्ट्रॉनिक और आईटी उत्पादों में भारत को अब सेमीकंडक्टर चिप के लिए विदेशों पर निर्भर नहीं रहना होगा। भारतीय सेमीकंडक्टर उद्योग को विकसित करने के मकसद से आईआईटी मंडी हाई वॉल्यूम सेमीकंडक्टर चिप मैन्यूफैक्चरिंग (एफएबी) 2021 के लिए इंटरनेशनल टेक्नोलॉजी रेडीनेस कार्यशाला का आयोजन करेगा। आईआईटी मंडी के परिसर में यह कार्यशाला 15 और 16 नवंबर को होगी। अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम से भारत में एडवांस्ड सेमीकंडक्टर एफएबी केंद्र बनाने और भारतीय सेमीकंडक्टर उद्योग के लिए इकोसिस्टम विकसित करने में मदद मिलेगी। मुख्य आयोजक और संयोजक प्रो. केनेथ गोंजाल्विस ने बताया कि भारत का इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग 65/45/32/28 एनएम टेक्नोलॉजी नोड चिप के आयात पर अत्यधिक निर्भर है। 2025 तक इसे आयात करने की मांग कई गुना बढ़ने की उम्मीद है। भारत में सर्वश्रेष्ठ चिप डिजाइनर और उत्कृष्ट शैक्षिक संस्थान दोनों हैं, लेकिन इस सामूहिक ज्ञान का लाभ लेकर फैब इकोसिस्टम बनाने के काम में हम पिछड़े हैं। इसे दूर करने के लक्ष्य से उपयुक्त इकोसिस्टम का मार्ग प्रशस्त करेगा ताकि भारतीय सेमीकंडक्टर उद्योग देश में इसकी मांग पूरी करे और संपूर्ण इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम डिजाइन और विनिर्माण में विश्व स्तर पर भारत सबल प्रतिस्पर्धी के रूप में उभरे। कोलोकियम की गरिमा बढ़ाने के लिए मुख्य अतिथि सदस्य नीति आयोग भारत सरकार डॉ. वीके सारस्वत चीफ गेस्ट होंगे। प्रेसिडेंट इंफ्रास्ट्रक्चर, डिफेंस एवं एयरोस्पेस एवं ग्लोबल कॉरपोरेट अफेयर्स, टाटा संस प्रा. लिमिटेड बनमाली अग्रवाल और सौरभ गौर (आईएएस), संयुक्त सचिव (इलेक्ट्रॉनिक्स) भारत सरकार विशेष अतिथि के रूप में मौजूद रहेंगे। यह कोलोकियम खास तौर से उद्योग जगत, सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों, केंद्र/राज्य सरकार के नीति निर्माताओं, अकादमिक इंजीनियरों, वैज्ञानिकों, पोस्ट डॉक्टरल रिसर्च फेलो, उच्च स्तर के विज्ञान और इंजीनियरिंग के विद्यार्थियों और शिक्षकों के लिए है।

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