नई दिल्ली। केंद्रीय कार्मिक राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि सरकारी नौकरियों में ‘लेटरल इंट्री’ 1960 के दशक से होती रही हैं। उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य नई प्रतिभाओं को सामने लाना और मानव संसाधन की उपलब्धता को बढ़ाना है। ‘लेटरल इंट्री’ निजी क्षेत्र के विशेषज्ञों की सरकार में नियुक्ति को कहा जाता है। जितेंद्र सिंह ने आगे कहा कि कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) की ओर से लेटरल इंट्री भर्तियां संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की उचित चयन प्रक्रिया के माध्यम से की जा रही हैं। उन्होंने कहा कि इसकी चयन प्रक्रिया को संस्थागत बनाने और अधिक उद्देश्यपूर्ण बनाने का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जाता है। हाल ही में सरकार में संयुक्त सचिवों और निदेशकों के पदों पर 31 उम्मीदवारों की लेटरल भर्ती की सिफारिश की गई है। जितेंद्र सिंह ने कहा कि सबसे उल्लेखनीय लेटरल इंट्री नियुक्ति 1972 में मनमोहन सिंह को मुख्य आर्थिक सलाहकार और 1976 में वित्त मंत्रालय में सचिव बनाकर हुई थी, जब इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री थीं।